राममंदिर पर फैसला अदालत नहीं भाईचारा से होगाः मौलाना मो. वहीद चिश्ती
मौलाना वहीद ने याद दिलाया कि इस्लाम जिंदगी लेने का नहीं देने का काम करता है। यह तो रामजन्मभूमि पर मंदिर का मामला है और इस भूमि पर बनी मस्जिद इस्लाम में कुबूल ही नहीं हो सकती।
अयोध्या (जेएनएन)। पूर्व आइपीएस सूर्यकुमार शुक्ल सहित लखनऊ से आए सूफी संतों के दल ने रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 12 दिनों तक अनशन करने वाले परमहंसदास के प्रयासों को सराहते हुए उनका अभिनंदन किया। इस दौरान मीडिया से मुखातिब मौलाना मो. वहीद चिश्ती ने कहा कि हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी चाहते हैं कि जहां राम का जन्म हुआ, वहां मंदिर बने।
उन्होंने मंदिर निर्माण में विलंब के लिए भाजपा नेतृत्व के रुख पर आश्चर्य जताया। कहा, कभी बहुमत मिलने पर मंदिर निर्माण का वायदा करती रही भाजपा की प्रदेश से लेकर केंद्र तक में सरकार है और ऐसे में उसे मंदिर निर्माण का गंभीर प्रयास करना चाहिए। मौलाना वहीद ने याद दिलाया कि इस्लाम जिंदगी लेने का नहीं देने का काम करता है। यह तो रामजन्मभूमि पर मंदिर का मामला है और इस भूमि पर बनी मस्जिद इस्लाम में कुबूल ही नहीं हो सकती।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर निर्माण का विषय अदालत से नहीं भाईचारा से तय होना है। सूफीसेवा समिति के अध्यक्ष ने ओवैसी जैसे फायर ब्रांड नेताओं पर हमला बोला। कहा, ऐसे नेता अपनी दुकान चलाने के लिए कौम को खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने अली मियां जैसे दिग्गज मौलाना की किताब का जिक्र किया और बताया कि रामजन्मभूमि पर 923 ईस्वी से ही राममंदिर का जिक्र मिलता है।
इस मौके पर पूर्व आइपीएस अधिकारी डॉ. सूर्यकुमार शुक्ल ने कहा कि रामजन्मभूमि हिंदुओं के लिए मक्का की तरह है। इस स्थल के प्रति मुस्लिमों को उदारता का परिचय देते हुए मस्जिद का दावा छोड़ देना चाहिए। इस दौरान मां वैष्णवदेवी के जाने-माने उपासक अखलाकदास, मौलीना वहीद के अनेक सहयोगी सूफी संत मौजूद रहे।
'रामजी की हवेली पर नाज
मौलाना वहीद एवं डॉ. सूर्यकुमार शुक्ल के साथ सूफी संतों के दल ने हनुमानगढ़ी, कनकभवन सहित रामलला का दर्शन किया। मौलाना वहीद ने रामलला के दर्शन को अपना सौभाग्य बताया तथा कहा, हमें रामजी की हवेली पर नाज है।