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महाराज दशरथ की समाधि के वजूद पर ग्रहण

पूराबाजार (फैजाबाद) : भगवान राम की पौराणिकता जिन चु¨नदा स्थलों से समीकृत होती है, उनमें

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 11:48 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 11:48 PM (IST)
महाराज दशरथ की समाधि के वजूद पर ग्रहण
महाराज दशरथ की समाधि के वजूद पर ग्रहण

पूराबाजार (फैजाबाद) : भगवान राम की पौराणिकता जिन चु¨नदा स्थलों से समीकृत होती है, उनमें से बिल्वहरिघाट स्थित महाराज दशरथ की दुर्लभ समाधि भी है। रामनगरी की पौराणिकता बयां करने वाले ग्रंथ अयोध्या महात्म्य एवं अयोध्या दर्पण के अनुसार अयोध्या के आग्नेय कोण पर पावन सलिला सरयू के करीब महाराज दशरथ का अंतिम संस्कार किया गया था और वहीं इनकी समाधि है। इस विवरण की तस्दीक मांझा मूड़ाडीहा एवं पूराबाजार ग्राम की सीमा बिल्वहरिघाट के करीब श्वेत संगमरमर की समाधि से होती है। हालांकि समाधि स्थली मंदिर के साथ अपनी पुख्ता पहचान सहित प्रतिष्ठित है पर पिछले कई वर्षों से बरसात एवं विकराल बाढ़ इस कीमती धरोहर के वजूद पर संकट बनी हुई है। एक माह पूर्व अतिवृष्टि के चलते प्राचीन मिट्टी के टीले में रिस कर पानी घुसने के कारण समाधि में बड़े-बड़े दरार पड़ गए हैं। समाधि दो हिस्सों में विभाजित हो गई है। समाधि का पूरा फर्श फट गया है। लंबे समय से प्रवाहमान है समाधि का वजूद

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-न केवल साहित्य में बल्कि पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में दशरथ की समाधि और उनका मंदिर लंबे समय से प्रवाहमान है। मंदिर के वर्तमान महंत दिलीपदास अपने वंश की पांचवी पीढ़ी के तौर पर इस धरोहर की देखरेख कर रहे हैं। सन 1935 में भूकंप आने से पूर्व तक दशरथ समाधि लखौरी ईटों और सुर्खी के प्लास्टर से निर्मित थी। भूकंप में समाधि के साथ मंदिर भी धराशायी हो गया, वह तो परपरानुरागी इलाकाई लोगों की पहल थी कि मंदिर और समाधि को पुन: प्रतिष्ठित किया गया। कालांतर में 1979 का वह दौर भी आया जब पास ही स्थित गांव सनेथू के जय ¨सह ने अपने पिता की स्मृति में समाधि को संगमरमर पत्थर से चुनवा दिया।

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शासन नहीं रहा है गाफिल- इस धरोहर के वैशिष्ट्य से शासन-प्रशासन परिचित रहा है। इस दिशा में पहली बार 1982 में पहल की तत्कालीन विधायक एवं प्रदेश सरकार में मंत्री निर्मल खत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी दीनानाथ श्रीवास्तव ने। उनके निर्देश पर पर्यटन विभाग ने मंदिर एवं समाधि का सौंदर्यीकरण कराया। सन्1989 में तत्कालीन सांसद निर्मल खत्री एवं विधायक सुरेंद्रप्रताप ¨सह ने स्थल के विकास के लिए आठ लाख रुपया उपलब्ध कराया। 1991 में प्रदेश के तत्कालीन पर्यटन मंत्री कलराज मिश्र, तत्कालीन सांसद विनय कटियार एवं विधायक लल्लू ¨सह ने इस धरोहर के प्रति पूरी संजीदगी बरती और करीब 15 लाख की लागत से सौंदर्यीकरण कराया। 2007 से 12 तक प्रदेश की बसपा सरकार में मंत्री रहे विनोद ¨सह की पहल पर आकर्षक तोरण का निर्माण कराया। समाधि की दुर्दशा से आहत हैं क्षेत्रवासी

- प्रधान सुरेश पांडेय, कांग्रेस नेता चेतनारायण ¨सह, शिक्षक नेता विश्वनाथ ¨सह, इतिहासविद् गुरुप्रसाद ¨सह, क्षत्रिय बोर्डिंग हाउस के अध्यक्ष जंगबहादुर ¨सह, भाजपा नेता विकास ¨सह, मुन्ना ¨सह, मंडल अध्यक्ष नंदकुमार ¨सह, प्रधान गण लल्ला ¨सह, महेंद्र ¨सह, राजेश ¨सह, पूर्व प्रधान राजनारायण ¨सह आदि ने प्रदेश एवं केंद्र सरकार से इस धरोधर को बचाने की मांग की है।


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