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'अजीब लोग हैं.. जो कांटे बोकर जमीं से गुलाब मांगते हैं'

फैजाबाद : 'गुनहगार तो नजरें हैं आपकी.. वरना कहां ये फूल से चेहरे नकाब मांगते हैं.।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 11:39 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 11:39 PM (IST)
'अजीब लोग हैं.. जो कांटे बोकर जमीं से गुलाब मांगते हैं'

फैजाबाद : 'गुनहगार तो नजरें हैं आपकी.. वरना कहां ये फूल से चेहरे नकाब मांगते हैं.। ..हमीं को दरिया तक जाने से रोकने वाले हमीं से पानी का हिसाब मांगते हैं, अजीब लोग हैं इन पर तो रहम आता है, जो कांटे बोकर जमीं से गुलाब मांगते हैं..' गजल की दुनिया के सबसे चमकदार सितारों में शुमार प्रो. वसीम बरेलवी ने अपनी इन रचनाओं को स्वर दिया तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। क्या युवा, क्या बुजुर्ग, छात्र-छात्राएं, अधिकारी और नेता..। शाम करीब साढ़े आठ से देर रात डेढ़ बजे तक तालियों और दाद देने में जरा भी न थके और न ही रुके। ये जिक्र है, डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में शनिवार की शाम का। देश के चु¨नदा कवियों, रूह तक उतरने वाली उनकी रचनाओं और सुधी श्रोताओं की त्रिवेणी ने विवि के स्वामी विवेकानंद सभागार में शनिवार की शाम को कभी न भूल पाने वाली शाम में तब्दील कर दिया।

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'दैनिक जागरण' के कवि सम्मेलन के मंच पर हास्य, ओज, श्रृंगार, व्यंग के सशक्त हस्ताक्षरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को करीब पांच घंटे तक बांधे रखा। मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन आरंभ हुए कवि सम्मेलन में रचनाकार और श्रोता एक रंग में रंगे नजर आए। श्रोताओं की गर्मजोशी ने प्रो. बरेलवी को एक बार जाने के बाद दोबारा मंच पर आने पर मजबूर कर दिया। उनसे तरन्नुम में गजल सुनने की बेताबी उन्हें दोबारा माइक पर ले आई। 'रात मुजरिम थी दामन बचा ले गई, दिन गवाहों की शफ में खड़ा रह गया, झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए, और मैं था कि सच बोलता रह गया.. वो मेरे सामने ही गया और मैं, रास्ते की तरह देखता रह गया, जैसी रचना से श्रोताओं को गहराती रात से बेखबर बनाए रखा। उनकी अध्यक्षता में हुए कवि सम्मेलन में पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, डॉ. सुरेश अवस्थी, गुनवीर राना, आशीष अनल, राजेंद्र पंडित, डॉ. मानसी द्विवेदी, ताराचंद्र तन्हा व दिलीप दुबे की रचनाओं ने स्वामी विवेकानंद सभागार को देर रात तक हंसी, ठहाकों और दाद से गुलजार रखा। कवि सम्मेलन का संचालक डॉ. सुरेश अवस्थी ने किया। जागरण परिवार के सदस्यों ने कविया ं को शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कवियों के साथ ही फॉल्कन ऐविएशन के वाइस चेयरमैन हर्षवर्धन ¨सह व अन्य अतिथियों का बुके भेंटकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालक देशदीपक मिश्रा ने किया।

------------------------ जो अफजल की करे पैरवी उसको भी लटका दो

पद्मश्री सुरेंद्र दुबे यूं तो अपनी हास्य की रचनाओं के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं, लेकिन जेएनयू की घटना पर उन्होंने अपनी रचना से यह कह कर तीखा प्रहार किया कि 'मेरा ये फरमान जेएनयू तक पहुंचा दो, जो अफजल की करे पैरवी उनको भी लटका दो..'। उनकी इन पंक्तियों के साथ ही श्रोताओं से खचाखच भरा विवि का सभागार तालियों से गूंज उठा। अयोध्या की सरजमीं पर होने का एहसास उन्होंने अपनी रचना से भी व्यक्त किया। 'मोदी योगी को अपना वचन निभाना होगा, जहां राम ने जन्म लिया, मंदिर वहीं बनाना होगा. कविता सुना कर माहौल में गर्मजोशी भरी। कवियों के व्यंग का प्रमुख किरदार रहने वाली पुलिस की नौकरी का दर्द भी उन्होंने अपने फन से बयां किया। 'मुझे ईमानदार सिपाही बहुत पसंद आते हैं.' कविता से पुलिस कर्मियों का दर्द भी साझा किया। इसके साथ ही बच्चों के पाठ का हिस्सा रहने वाले बिना मात्रा के शब्दों से पिरोई कविता से सभागार में ठहाके लगवाए।

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मना नहीं पाते कभी तीज, दिवाली, ईद

कवि सम्मेलन के संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉ. सुरेश अवस्थी ने अपनी रचनाओं से लोगों को मुरीद बना लिया। 'झंडे पर होते नहीं अगर जवान शहीद, मना नहीं पाते कभी तीज, दिवाली ईद..' से सेना की शौर्यगाथा को बयान किया। उनकी कविताओं के हिस्से में कभी पुलिस पर व्यंग निकला तो कठिन परिस्थितियों में कार्य करने के लिए प्रशंसा भी निकली। संचालन करते समय भी वे व्यंग से नहीं चूके। डीआइजी ओंकार ¨सह की मौजूदगी में उन्होंने हास्य का पुट यह कह कर घोला कि 'जो पुलिस जल्दी किसी की नहीं सुनती वो कविता सुनने आई है।'

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मानसी ने रामनगरी के मानस को छुआ

'मैं पावन नीर सरयू का सुवासित शाम लाई हूं, गढ़ी हनुमान की पूरा अयोध्या धाम लाई हूं, जिन्हें गा-गाकर तुलसी न रची मानस की चौपाई, जनक जी की वही सीता, लला श्रीराम लाई हूं..'। माता जानकी पर आधारित अपनी रचना के लिए देश भर में पहचान पाने वाली डॉ. मानसी द्विवेदी ने इन पंक्तियों से अयोध्या के मानस को छुआ। इससे पहले उन्होंने कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना से की। बारी काव्यपाठ की आई तो अपनी रचना पापा से उन्होंने बालिका से मन को श्रोताओं के समक्ष रखा। साथ ही माता जानकी के वनवास पर अपनी रचना से रामनगरी के वासियों को भावुक कर दिया।

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हम धृतराष्ट्र कवि हैं

पेट्रोल के बढ़ते दाम से परेशान लोगों को हास्य व्यंग के बड़े हस्ताक्षर राजेंद्र पंडित ने अपनी रचनाओं ढांढस बंधाने के साथ ही खूब गुदगुदाया। महंगा हुआ पेट्रोल तो थोड़ा खरीदिए, अच्छा विकल्प है अगर घोड़ा खरीदिए, ट्रेव¨लग के साथ राइ¨डग का लुत्फ लीजिए.. पांच किलो लीद रोज मुफ्त लीजिए.., पंक्तियों ने पूरे सभागार को ठहाकों से गूंजा दिया। उन्होंने माइक संभालते ही श्रोताओं की तालियां बटोरनी शुरू कर दीं। कहा, बहुत बढि़या कवि हैं हम, पुरानी गुडविल पर ही ताली बजा देना चाहिए। मंच पर बैठे अन्य कवियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये राष्ट्रीय कवि हैं, हम धृतराष्ट कवि हैं। महंगी फीस पर भी उन्होंने खब तंज कसा। कहा, पहले शिक्षा के मंदिर होते थे, अब एजुकेशन मॉल हैं।

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आम आदमी महंगाई से रो रहा है हास्य के स्थापित कवि दिलीप दुबे ने अपनी रचनाओं से खूब तालियां बटोरी। नोटबंदी पर उन्होंने अनूठे अंदाज में व्यंग कसा। महंगाई पर भी उन्होंने खूब तंज कसा। 'आम आदमी महंगाई से रो रहा है और नेता चैन से सो रहा है'.. कविता से दुबे ने श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। 'एक बंदर चिड़िया घर के अंदर, प्यार से बंदरियां को सहला रहा था' ने लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया।

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जोश, जज्बे का संचार

'कितना तिरंगे को झुकाया जा चुका, आजादी की कितनी सजा वो पा चुका। कैसी संविधान की ये मजबूरी है, शोक में तिरंगा झुकाना जरूरी है.'। ओज के सशक्त हस्ताक्षर आशीष अनल ने जब अपनी प्रसिद्ध रचना तिरंगा का पाठ आरंभ किया तो हंसी और ठहाकों से तर माहौल में जोश और जज्बे का संचार हुआ। शोक में तिरंगे को झुकाने की परंपरा पर उन्होंने अपनी रचना से खूब प्रहार किया। 'खोखली प्रथा पर ये ऐलान किया जाए, मंत्री का भी बाप मरे तो मरने दिया..'। युवक-युवतियां, बुजुर्ग और नौजवानों को उन्होंने अपनी कविताओं से झकझोर कर रख दिया। हर दिल में देशभक्ति अलख जगाई।

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मंत्री बने, फोटो छपी पौधा लिए हुए

कवि सम्मेलन में कविता की शुरुआत हास्य व्यंग के प्रसिद्ध कवि ताराचंद तन्हा ने की। 'मै मन में था, जिनके लिए श्रद्धा लिए हुए, इक दिन मिले वो हाथ में अद्धा लिए हुए., करते रहे चोरी से जंगल का सफाया, मंत्री बने फोटो छपी पौधा लिए हुए., जैसी रचनाओं से तन्हा ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। हास्य, व्यंग की कविता में शब्दों के प्रयोग के लिए मशहूर तन्हा ने श्रोताओं को खूब ठहाके लगवाए।

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.. वो मेरी आस्तीन है साहब

अपनी गजलों से युवाओं के दिलों में राज करने वाले गुनवीर राना ने शनिवार की शाम को भी यादगार बनाया। 'जिसका लहजा हसीन है साहब, वो मेरा नाजनीन है साहब, अक्ल वाले समझ न पाएंगे, बात थोड़ी महीन है साहब, आप बांबी जिसे समझते हैं, वो मेरी आस्तीन है साहब' जैसी रचनाओं से उन्होंने श्रोताओं की तालियां बटोरीं। गजल और शेरों से उन्होंने श्रोताओं की वाहवाही बटोरी।

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खूब लगे देशभक्ति के नारे

कवि सम्मेलन में कई बार ऐसा भी मौका आया, जब माहौल जोश, जज्बे से तारी रहा। पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, ओज के कवि आशीष अनल की रचनाओं पर लोगों ने भारत माता की जय का खूब उद्घोष किया। दिनेश जायसवाल, राजीव शुक्ला, वेद राजपाल के साथ ही विवि के अंतवासी छात्र-छात्राओं ने भारत माता का जयघोष किया। आलम यह था कि विवि के अंतवासी छात्र-छात्राओं को रात करीब 11 बजे बुलाया गया, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।

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घंटों रहा श्रोताओं का जमावड़ा

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में दैनिक जागरण के तत्वावधान में हुए कवि सम्मेलन में करीब पांच घंटे तक लोगों का जमावड़ा लगा रहा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उनके साथ ही कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री, सांसद लल्लू ¨सह, फॉल्कन ऐविएशन के वाइस चेयरमैन हर्षवर्धन ¨सह, दैनिक जागरण के एसोसिएट वाइस प्रेसीडेंट मार्के¨टग मुदित गुलाटी, दैनिक जागरण लखनऊ के महाप्रबंधक जेके द्विवेदी, रुदौली विधायक रामचंद्र यादव, पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद, अयोध्या विधायक वेदप्रकाश गुप्त, मिल्कीपुर विधायक गोरखनाथ, बीकापुर विधायक शोभा ¨सह चौहान, पूर्व मंत्री तेजनारायण पांडेय पवन, पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव, डीआइजी ओंकार ¨सह, एडीएम सिटी ¨वध्यवासिनी राय, एसपी सिटी अनिल कुमार ¨सह, सीओ सिटी अर¨वद चौरसिया, अविवि के कुलसचिव डॉ. विनोद ¨सह ने समारोह की शोभा बढ़ायी। अतिथियों के प्रति दैनिक जागरण के जिला प्रभारी रमाशरण अवस्थी ने आभार जताया। इस मौके पर प्रो. एमपी ¨सह, प्रो. सीके मिश्रा, प्रो. केके वर्मा, प्रो. हिमांशु शेखर ¨सह, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. आरके ¨सह, डॉ. अनिल यादव, डॉ. शैलेंद्र वर्मा, राममंदिर समर्थक बब्लू खान, कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश ¨सह, केके मिश्रा, डॉ. चंद्र गोपाल पांडेय, डॉ. आशीष श्रीवास्तव, डॉ. अजय गुप्ता, साहित्यकार सुदामा ¨सह, भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश पांडेय बादल, सपा जिलाध्यक्ष गंगा ¨सह यादव, भाजपा जिला महासचिव संजीव ¨सह, ओमप्रकाश ओमी, सुमित राजपाल, राजमणि ¨सह, कमलेश दुबे, धीरज राजपाल, मनीष ¨सह, परिमल त्रिपाठी, दिनेश ¨सह, प्रतिपाल ¨सह पाली, बंटी ¨सह, आशीष ¨सह, सनी यादव, अर्जुन यादव आदि थे।

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इन्होंने निभाई अहम भूमिका

दैनिक जागरण के कवि सम्मेलन में जिले से ताल्लुक रखने वाले कई संस्थान भी साझीदार बने। मुख्य प्रायोजक के तौर पर डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय रहा। इसके साथ ही सह प्रायोजक की भूमिका में साकेत महाविद्यालय, उदया पब्लिक स्कूल, एलआइसी, अर¨वद कैटर्स, एवरग्रीन रेस्टोरेंट, रामजानकी महाविद्यालय, रामनेवाज पीजी कॉलेज, देवा पब्लिक स्कूल, दिशा को¨चग, परमहंस महाविद्यालय, श्रीराम ¨सह गुलेरिया कॉलेज, सनबीम स्कूल, केआरसी पानी, मां वैष्णो देवी पीजी कॉलेज, श्रीरामचंद्र ¨सह महाविद्यालय, अमृत बॉटलर्स, ग्रामर्षि एकेडमी, कोहिनूर पैलेस, ट्राइगेट को¨चग, भवदीय ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन, संत भीखादास महाविद्यालय, शिवसावित्री महाविद्यालय, सनफूड प्रोडक्ट रहे।


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