स्वरूपानंद आइसीयू में, आयोजन को लेकर संशय
शिलान्यास के लिए अपने साथ आने वाले संतों के हुजूम का नेतृत्व करना होगा बल्कि पुलिस एवं प्रशासन से भी मुकाबिल होना होगा। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब राममंदिर की दावेदारी के मोर्चे पर बुजुर्ग स्वरूपानंद का स्वास्थ्य आड़े आ रहा है। एक दशक पूर्व भी वे राममंदिर निर्माण का दावा लेकर रामकोट की परिक्रमा करने आए थे और पालकी पर बैठकर उन्होंने रामकोट की परिक्रमा भी की। इस दौरान उनके लिए पालकी पर बैठना तक
अयोध्या : 21 फरवरी को राममंदिर के लिए शिलान्यास का एलान करने वाले 93 वर्षीय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें बनारस स्थित अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा है। ऐसे में एलान के अनुरूप वे राम मंदिर का शिलान्यास करने रामाग्रह यात्रा के साथ अयोध्या आ सकेंगे, इस पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि शिलान्यास कार्यक्रम के लिए उनका स्वस्थ होना जरूरी है। उनकी घोषणा व्यापक जिद्दो-जहद की सबब मानी जा रही है। सुप्रीमकोर्ट ने 2011 से ही अधिग्रहीत परिसर में शिलान्यास ही नहीं अन्य किसी प्रकार के कार्यक्रम पर रोक लगा रखी है और न्यायिक आदेश के अनुपालन में प्रशासन की सजगता ऐसी है कि परिसर में प¨रदा तक पर नहीं मार सकता। ऐसे में बीमार स्वरूपानंद शिलान्यास को किस तरह अंजाम देंगे, यह सवाल अहम है। उन्हें न केवल शिलान्यास के लिए अपने साथ आने वाले संतों के हुजूम का नेतृत्व करना होगा बल्कि पुलिस एवं प्रशासन से भी मुकाबिल होना होगा। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब राममंदिर की दावेदारी के मोर्चे पर बुजुर्ग स्वरूपानंद का स्वास्थ्य आड़े आ रहा है। एक दशक पूर्व भी वे राममंदिर निर्माण का दावा लेकर रामकोट की परिक्रमा करने आए थे और पालकी पर बैठकर उन्होंने रामकोट की परिक्रमा भी की। इस दौरान उनके लिए पालकी पर बैठना तक मुश्किल हो रहा था और तभी यह धारणा बन गई थी कि बढ़ती उम्र के आगे यह दिग्गज संत निढाल पड़ रहा है। एक दशक बाद तो उनके स्वास्थ्य में और गिरावट की अटकल लगाई जा रही थी और अयोध्या आगमन की घोषणा के ऐन पूर्व आईसीयू में भर्ती कराए जाने से ऐसी अटकलों को प्रामाणिकता भी मिल रही है। उधर, इन अटकलों के विपरीत स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दावा दोहराते हुए कहा, रामाग्रह यात्रा नियत तिथि यानी 19 फरवरी को अयोध्या पहुंचेगी।