अध्ययन के लिए किताब का विकल्प नहीं
फैजाबाद : नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज के कुलपति प्रो. जेएस संधू ने कहा कि लेक्चर से
फैजाबाद : नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज के कुलपति प्रो. जेएस संधू ने कहा कि लेक्चर से अध्ययन की दिशा तय होती है पर किताब का विकल्प नहीं है। लाइब्रेरी जैसा पढ़ने का वातावरण घर में भी सुलभ नहीं होता है।
वे स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रख्यात अधिवक्ता नारायणदास खत्री की स्मृति में आयोजित छह दिवसीय फैजाबाद पुस्तक मेले के समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। दिल्ली के प्रगति मैदान के पुस्तक मेला की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में सबसे बड़ी लाइब्रेरी कोलकाता में है, जहां 26 लाख किताबें हैं। इंग्लैंड की लाइब्रेरी में 15 करोड़ तो यूएसए की लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में 16 करोड़ किताबें हैं, जिसमें प्रतिदिन 16 से 17 लाख लोग विजिट करते हैं। पहले लोग ट्रेन में पढ़ते थे। महापुरुषों की जीवनी का ज्ञान किताब से ही संभव है। उन्होंने कहा कि छह दिवसीय मेला हर वर्ग के लिए आकर्षण था। उन्होंने कृषि विवि की लाइब्रेरी को और विकसित करने का वादा किया। कुलपति ने दैनिक जागरण के पुस्तक मेला के कवरेज की सराहना भी की।
इस अवसर पर दैनिक जागरण के राज्य संपादक एवं प्रतिष्ठित लेखक आशुतोष शुक्ल ने कहा कि किताब घर के बुजुर्ग की तरह है। बच्चों को शिक्षक, किताब और घर के बुजुर्ग के साथ बैठने की आदत डालनी चाहिए, क्योंकि शिक्षक और पिता के थप्पड़ खाए बिना अकल नहीं आती।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार शुक्ल ने कहा, ऑनलाइन किताब खरीदना उचित नहीं। दुकान पर किताबों की खास खुशबू महसूस होती है, क्योंकि आप मीर को लेने जाते हैं और गालिब को लेकर लौटते हैँ। निराला, फिराक, गुलजार पसंद आ जाते हैं। उन्होंने नई पीढ़ी में मोबाइल के प्रति अत्यधिक रुझान की आलोचना करते हुए कहा कि मोबाइल की भाषा आपकी भाषा खत्म कर रही है। विकीपीडिया झूठ का पु¨लदा है। लिखी हुई किताब दस्तावेज है। छपे हुए शब्दों की कीमत पहचाने। मोबाइल को केवल सर्विस समझे। टॉप करने वाले बच्चों ने मोबाइल से परहेज किया है। स्कूल में मोबाइल ले जाना अपराध है। बिना हेल्मेट और 18 वर्ष से कम उम्र पर बाइक चलाने देना आपकी गलती है। उनसे अच्छी शिक्षा कोई नहीं दे सकता। मोबाइल की जगह अपने पास किताबों को रखे। आज बच्चों ही नहीं हम सभी को छपे हुए शब्दों की कीमत को समझना होगा। उन्होंने पुस्तक मेला के आयोजक पूर्व सांसद निर्मल खत्री की यह कहकर सराहना की, वे राजनीति की उस धारा के है, जो अब लुप्त प्राय: है। जहां गाली नहीं सम्मान की भाषा होती है। इस मौके पर अग्रवाल ज्ञान केंद्र की ओर से सुनील कुमार ने शुक्ल को उनका रेखाचित्र भेंट किया । मेला प्रभारी रीता खत्री, बीना खत्री, कोषाध्यक्ष राजकुमार खत्री, जीआइसी के प्राचार्य रमेशचंद्र, प्रभात टंडन आदि ने बुके भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया। -------------------------
लाइब्रेरी को सराहा
-शुक्ल ने नारायणदास खत्री स्मृति अध्ययन केंद्र की सराहना की और कहा कि कम जगह में जिस तरह पुस्तकों को व्यवस्थित किया गया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने पिता की याद में लाइब्रेरी स्थापित करने एवं पुस्तक मेला आयोजित करने की तारीफ की।
------------------------ किताबों को 'गूगल महराज'से बचाने की जरूरत : महापौर
-अयोध्या नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने पुस्तक मेला एवं अपने शिक्षण संस्थान परमहंस डिग्री कॉलेज की 2004 में स्थापना की चर्चा करते हुए कहा कि किताबों को'गूगल महराज'से बचाने की जरूरत है। उन्होंने मेला आयोजन के लिए नारायण दास खत्री मेमोरियल ट्रस्ट के पदाधिकारियों की तारीफ की और पॉलिथिन के परित्याग का आह्वान किया। संचालन कर रहीं नमिता मेहरोत्रा ने भविष्य में अतिथियों को बुके भेट करने की जगह पौध देने का वादा किया।
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दिग्गजों की रही मौजूदगी
-कार्यक्रम में नारायण खत्री मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव पूर्व सांसद निर्मल खत्री, राकेश केसरवानी, अलका वर्मा, सुप्रीत कपूर, सुनीता शास्त्री, केके सिन्हा, राजेंद्र प्रताप ¨सह, रामदास वर्मा, सुनील पाठक, रामकुमार ओझा, एसपी चौबे, उग्रसेन मिश्र आदि मौजूद रहे।