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अवध विवि से ही बाहर पहुंची ब्लैंक मार्कशीट

फैजाबाद: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की मार्कशीट के गोरखधंधे के तार विश्वविद्यालय

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 03:13 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 03:13 AM (IST)
अवध विवि से ही बाहर पहुंची ब्लैंक मार्कशीट
अवध विवि से ही बाहर पहुंची ब्लैंक मार्कशीट

फैजाबाद: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की मार्कशीट के गोरखधंधे के तार विश्वविद्यालय के भीतर से जुड़े हैं। इसकी पुष्टि पुलिस की जांच से हुई है। आरोपी के शिनाख्त पर विश्वविद्यालय पहुंचे पुलिस के अधिकारियों ने संबंधित कर्मचारी से प्रकरण में पूछताछ की है। सूत्रों के अनुसार जांच के दौरान ये पता चला है कि बाहर बरामद ब्लैंक मार्कशीट विवि की अधिकृत मार्कशीट ही है। ये सादे अंकपत्र कैसे बाहर पहुंचे, किसने पहुंचाया, इस गोरखधंधे के गिरोह में कौन-कौन शामिल है, विवि का कौन कर्मी इसमें शामिल है, पुलिस इसी दिशा में जांच कर रही है।

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जांच के दौरान विवि में मार्कशीट से संबंधित समस्त जानकारी कुलसचिव कार्यालय में पुलिस अधिकारियों ने ली। कुछ अभिलेख भी मांगे। बता दें कुलपति के पास बाहर मार्कशीट बनाए जाने की शिकायत हुई थी, इसी के बाद कुलपति ने इस मामले की सूचना पुलिस को दी। इसी क्रम में सोमवार पुलिस दल ने विवि के बाहर दुकान पर छापामारा और ब्लैंक मार्कशीट बरामद की। छापेमारी के दौरान ब्लैंक मार्कशीट के साथ छात्रों की लिखित मार्कशीट भी मिली। अब पुलिस लिखित अंक पत्र वाले छात्र से भी पूछताछ करने के फिराक में है। इससे पहले बरामद मार्कशीट की सत्यता को परखने के लिए पुलिस टीम सीओ सिटी धनंजय कुशवाहस की अगुआई में मंगलवार दोपहर बाद विवि के कुलसचिव कार्यालय पहुंची। मार्कशीट की सत्यता की जांच से साफ हो गया कि बाहर मिली ब्लैक मार्कशीट विवि की अधिकृत मार्कशीट है। पूछताछ के दौरान आरोपी दुकानदार को भी पुलिस विवि अपने साथ ले गई। उसने मार्कशीट देने वाले लिपिक की शिनाख्त भी मौके पर की। हालांकि लिपिक ने मार्कशीट देने से इंकार कर दिया।

कुलसचिव प्रो. एसएन शुक्ल ने बताया कि पुलिस के अधिकारी आए थे, उन्होंने जो भी जानकारी मांगी, दे दी गई। बताया कि पुलिस के पास जो अंक पत्र थे, वे विवि के अधिकृत अंकपत्र हैं।

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Þमामला गंभीर है। विश्वविद्यालय का जो भी कर्मी इसमें शामिल होगा, उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी सूरत में विवि की छवि खराब होने नहीं देंगे। इस तरह के कार्य में लिप्त लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। जरूरत पड़ी तो विवि भी जांच करा सकता है।

- प्रो.मनोज दीक्षित, कुलपति अवध विश्वविद्यालय


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