विश्व नगर दिवसः जानें कब और किसने की अयोध्या नगरी की स्थापना
अयोध्या! वैदिक ग्रंथों के अनुसार राजा और राज्य की परिकल्पना की पहली साकार नगरी। जिसे सृष्टि के प्रथम पुरुष मनु ने बसाया।
अयोध्या (नवनीत श्रीवास्तव)। अयोध्या! वैदिक ग्रंथों के अनुसार राजा और राज्य की परिकल्पना की पहली साकार नगरी। हजारों वर्ष पुरानी ऐसी नगरी, जिसे मानवता का सूत्रपात करने वाले सृष्टि के प्रथम पुरुष मनु ने बसाया। जो शताब्दियों तक सूर्यवंश की राजधानी रही। भगवान राम, भागीरथ, हरीशचंद्र, दिलीप जैसे प्रतापी राजाओं व आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली बनी। गौतम बुद्ध के 16 वर्षावास की नगरी भी अयोध्या है। अंतरराष्ट्रीय नगर दिवस पर इस प्राचीन नगरी की स्थापना कब और कैसे हुई, आप भी जानिए।
स्कंद पुराण में अयोध्या युद्ध में अपराजेय
मान्यता है कि मनु ने अयोध्या की स्थापना की थी। देवताओं के कहने पर मनु राजा बनने के लिए तैयार हुए और अयोध्या को राजधानी बनाया। अयोध्या में अकार, यकार व धकार को क्रमश ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वाचक माना जाता है। अयोध्या राम के धनुष के अग्र भाग पर बसी मानी जाती है। इसीलिए अयोध्या युद्ध में अपराजेय मानी जाती है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण और रामायण सहित कई ग्रंथों में है।
प्राचीन अयोध्या का क्षेत्रफल 96 वर्ग मील
प्राचीन उल्लेखों के अनुसार अयोध्या का क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था। कुछ इतिहासकार अयोध्या की नागर सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता से भी ज्यादा प्राचीन करीब छह हजार वर्ष पुराना मानते हैं। साकेत महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष व प्रख्यात इतिहासकार डॉ. महेंद्र पाठक के मुताबिक महाभारत युद्ध करीब 3102 ईसा पूर्व हुआ था। इसमें 2018 वर्ष और जोड़ दे तो अयोध्या कम से कम छह हजार वर्ष पुरानी है, जबकि ङ्क्षसधु घाटी सभ्यता का काल तीन हजार ईसा पूर्व का है।
सप्तहरि की धरती
अयोध्या श्रीहरि के सात प्राकट्य की भी धरती है। इनमें विष्णुहरि, चक्रहरि, धर्महरि, गुप्तहरि, पुण्यहरि, चंद्रहरि और बिल्वहरि हैं। अयोध्या को अलग-अलग काल में भिन्न-भिन्न नामों से जाना गया। इसमें कोशल, विशाखा, अयुधा, अपराजिता, अवध, विनीता, रघुपुरी, अजपुरी आदि हैं। अयोध्या में 11 प्रमुख वाटिकाएं हैं। इनमें हनुमानबाग, हनुमान वाटिका, वल्लभकुंज, श्रवणकुंज, तुलसीउद्यान, केलिकुंज, राघवकुंज, आदि शामिल हैं।
किले-टीले और सरोवर
अयोध्या में पांच प्रमुख किले-छावनी और चार प्रमुख टीले हैं। किलों में लक्ष्मणकिला, सुग्रीवकिला, तपस्वीजी की छावनी, मणिरामदासजी की छावनी व हनुमानगढ़ी है। टीले में प्रमुख रूप से मणिपर्वत, कुबेरटीला, सुग्रीव टीला, नल-नील टीला है। मौजूदा समय में प्रमुख रूप से 17 कुंड बचे हैं। इसमें गिरिजाकुंड, लक्ष्मीकुंड, ब्रह्मकुंड, सूर्यकुंड, विद्याकुंड, अग्निकुंड, गणेशकुंड, बृहस्पतिकुंड, स्वर्णखनिकुंड, दशरथकुंड, वशिष्ठकुंड, सीताकुंड, भरतकुंड, विभीषणकुंड, दंतधावन कुंड, शत्रुघ्नकुंड व दुर्गाकुंड है। प्राचीन काल में कई और कुंड थे, जिनका अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होता गया।
प्रमुख मेले व पर्व
यूं तो अयोध्या वर्ष भर उत्सवों से गुलजार रहती है, लेकिन सबसे खास मौका रामनवमी एवं दीपावली का होता है। रामनवमी को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जबकि दीपावली भगवान की वनवास से वापसी का अवसर होती है। इसके अलावा कार्तिक माह में 14 कोसी एवं पंचकोसी परिक्रमा का आयोजन होता है। अमावस्या व पूर्णिमा को सरयू स्नान करने के लिए देश भर से श्रद्धालु जुटते हैं। कार्तिक, सावन और चैत्र मेला करीब-करीब 15-15 दिन चलता है।
प्रमुख मंदिर
अयोध्या में हजारों मंदिर हैं। इनमें प्रमुख कनकभवन, हनुमानगढ़ी, क्षीरेश्वरनाथ, नागेश्वरनाथ, आदिनाथ, छोटी देवकाली, जालपा देवी, पत्थर मंदिर, कबीर मंदिर आदि हैं। सबसे अहम यहां अलग-अलग जातियों के 62 मंदिर हैं। अयोध्या रेल व सड़क मार्ग से यूपी की राजधानी लखनऊ, बनारस से सीधे तौर पर जुड़ी है। लखनऊ से अयोध्या की दूरी करीब 130 किलोमीटर है। इसके अतिरिक्त दक्षिण भारत से रेल मार्ग से रामनगरी सीधे जुड़ी है। अयोध्या से रामेश्वरम् तक की सीधी ट्रेन है।