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धर्मसभा या छह दिसंबरः तीन दशक से पहरे में खुद को असहज महसूस करती अयोध्या

आशीर्वाद समारोह फिर धर्मसभा और अब छह दिसंबर अयोध्या के लिए परीक्षा की घड़ी है। मंदिर विवाद ने आए दिन परीक्षा देना अयोध्या की नियति बना दिया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 09:52 PM (IST)
धर्मसभा या छह दिसंबरः तीन दशक से पहरे में खुद को असहज महसूस करती अयोध्या
धर्मसभा या छह दिसंबरः तीन दशक से पहरे में खुद को असहज महसूस करती अयोध्या

जेएनएन, अयोध्या। रामजन्मभूमि को लेकर उपजे विवाद ने आए दिन परीक्षा देना अयोध्या की नियति बना दिया। संगीनों के साये में अपने ही घर-शहर में आते-जाते पूछताछ शुरू हो गई। इसके विपरीत टेंट में डेरा जमाए अयोध्या के राजा रेह श्रीराम का सहारा लेने वाले सत्ता की सीढिय़ां चढ़ते गए। हाल ही में आशीर्वाद समारोह फिर धर्मसभा और अब छह दिसंबर अयोध्या के लिए परीक्षा की घड़ी है। दरअसल छह दिसंबर को अयोध्या ध्वंस को हिंदू संगठन शौर्य दिवस और मुस्लिम संगठन काला दिवस के रूप में मनाते आए हैं। इस बार राममंदिर के लिए छह दिसंबर को आत्मदाह का एलान करने वाले महंत परमहंसदास प्रशासन के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।

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कड़े सुरक्षा पहरे में अयोध्या का बड़ा हिस्सा 

1984 में रामजन्मभूमि का ताला खुलने के बाद से अयोध्या की परीक्षा अब तक जारी है। विहिप का 1989-90, फिर 1992 का जबर्दस्त आंदोलन झेलने वाली अयोध्या को उम्मीद थी कि विवादित ढांचा ध्वंस होने के साथ मंदिर निर्माण से उसके अच्छे दिन आ जाएंगे लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। अयोध्या का बड़ा हिस्सा कड़े सुरक्षा पहरे में है। इस क्षेत्र में रामलला का अस्थायी मंदिर, हनुमानगढ़ी, कनकभवन आदि प्रमुख मंदिर हैं। यहां दस हजार से अधिक परिवार स्थायी तौर पर आबाद हैं। इन्हें अपने घर-दुकान जाने के लिए सुरक्षा बलों की निगरानी से गुजरना पड़ता है। तीज-त्यौहार पर सुरक्षा और कड़ी हो जाती है। 

आम लोगों की दिनचर्या पर पुलिस का पहरा

छह दिसंबर हो या फिर हिंदूवादी संगठनों की अन्य गतिविधियां पुलिस पहरा बिठा देती है। ताजा मसला शिवसेना का आशीर्वाद समारोह एवं विहिप धर्मसभा का है। दीपोत्सव, कार्तिक परिक्रमा एवं स्नान मेला और फिर राममंदिर के मसले पर शिवसैनिकों का अयोध्या आगमन, विहिप की धर्मसभा के चलते पूरी अयोध्या कड़े प्रतिबंधों का शिकार हो गई। वाहनोंं का आवागमन प्रतिबंधित है। आए दिन ऐसी गतिविधियों से रूबरू होने वाली अयोध्या अब केवल नारे सुनना नहीं, बल्कि राममंदिर का निर्माण देखना चाहती है। तिवारी मंदिर मंहत गिरीशपति त्रिपाठी का कहना है कि अयोध्या का मिजाज शांति-सौहार्द का है। वह अपनी मौज में बहना चाहती है। उसे प्रतिबंधों की बाड़ असहज करती रहती है।

मंदिर का दायित्व 110 करोड़ हिंदू संभालें

राममंदिर निर्माण के लिए एक से 12 अक्टूबर तक अनशन और छह दिसंबर को आत्मदाह का एलान करने वाले तपस्वीजी की छावनी के महंत परमहंसदास धर्मसभा के समय चुप नहीं बैठे और मध्याह्न उन्होंने अपने आश्रम के सामने आचार्यपीठ के प्रमुख की हैसियत से सिर पर ईंट रखकर धर्मादेश जारी किया। यह धर्मादेश जारी करते हुए उनके सम्मुख वह चिता थी, जिस पर छह दिसंबर को आत्मदाह करेंगे। धर्मादेश में परमहंसदास ने दोहराया कि यदि पांच दिसंबर तक मंदिर निर्माण का मार्ग नहीं प्रशस्त होता है तो छह दिसंबर को अपनी घोषणा के अनुरूप आत्मदाह कर लेंगे। इसके बाद मंदिर निर्माण का दायित्व देश के 110 करोड़ हिंदू संभालें। 


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