Ayodhya : राम मंदिर में हो रही पर्यावरण की आराधना, समतलीकरण के दौरान 40 वर्ष पुराना वृक्ष शिफ्ट
Ayodhya विश्व भर में आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहे भव्य राम मंदिर स्थल में प्रकृति की पूजा-अर्चना भी हो रही है।
अयोध्या [प्रवीण तिवारी]। विश्व भर में आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहे भव्य राम मंदिर स्थल में प्रकृति की पूजा-अर्चना भी हो रही है। यहां पर पेड़ पौधों का संरक्षण और संवर्द्धन किया जा रहा है। पुराने पौधों को दूसरी जगह लगाया जा रहा है। परिसर में प्लास्टिक के प्रयोग पर पाबंदी है। मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होता है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इन दिनों भगवान राम के जन्मस्थान पर मंदिर बनाने की तैयारी में जुटा है। परिसर का समतलीकरण व साफ सफाई का कार्य जारी है, इस मुहिम को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित किया गया है। इसमें कम से कम पेड़ पौधे नष्ट हों, इसे भी ध्यान में रखा गया है। जो भी पेड़ पुन: रोपित करने के लायक हैं, उन्हें अन्यत्र रोपित किया जा रहा है। अभी हाल में ही 30-40 साल पुराने पेड़ को जड़ समेत क्रेन से निकाल कर उसे उच्च स्थान से निचले इलाके में रोपित कर दिया गया। यह पीपल और नीम का संयुक्त वृक्ष है।
इस अभियान को आगे करके ट्रस्ट मंदिर निर्माण के साथ ही यहां से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालु आराध्य के पूजन अर्चन के साथ ही लोक कल्याण का मर्म समझ सकें। ट्रस्ट से जुड़े एक सदस्य का कहना है कि मंदिर प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता हुआ हमेशा नजर आएगा। कोरोना जैसी भीषण महामारी के दौर में यह अधिक प्रासंगिक भी है, जिससे यहां आने वाले रामभक्त हमेशा ही पर्यावरण की सुरक्षा संरक्षा के लिए यहां के सूत्र वाक्य को गांठ बांध सकें और भावी पीढ़ी के लिए सुंदर सृष्टि सृजित करने में सहायक हों।
राम मंदिर की आभा बिखेरेगी यहां की प्राकृतिक छटा : नवग्रह वाटिका, पीपल ,नीम आदि पौराणिक महत्व के पौधों को रोपित किया जाएगा, जो समय के साथ मंदिर की भव्यता दिव्यता में चार चांद लगाएंगे।