देवी-देवताओं के बीच बीतता है आलम का दिन
रामनगरी में समरसता किस कदर रची बसी है यह जानना हो तो मो. आलम से मिलिए। वे नमाज अदा करके घर से निकलते हैं और फिर उनका पूरा दिन देवी-देवताओं के बीच ही गुजरता है। इसकी वजह उनका शौक है.
अयोध्या : रामनगरी में समरसता किस कदर रची बसी है, यह जानना हो तो मो. आलम से मिलिए। वे नमाज अदा करके घर से निकलते हैं और फिर उनका पूरा दिन देवी-देवताओं के बीच ही गुजरता है। इसकी वजह उनका शौक है। आलम बड़ी तल्लीनता से गणेश, लक्ष्मी, भगवान राम, कृष्ण, शिव व अन्य देवी देवताओं की प्रिट तस्वीर को फ्रेम में ढालते हैं। आलम की एक खास ब्रांड कनक बिहारी भगवान की जरी युक्त तस्वीर है। इसे प्रिट कराते वक्त ही जरी की कारीगरी होती है। यह तस्वीर बिल्कुल अलग दिखती है और बरबस आकर्षित करती है। आलम के हाथों फ्रेम में गढ़े गए भगवत स्वरूप हिदुओं के घरों में न सिर्फ पूजित हैं बल्कि मंदिरों के जगमोहन में विराजित हैं। इसी कर्मयोग की साधना से आलम के परिवार का भरण पोषण भी हो रहा है।
तुलसी उद्यान के ठीक सामने स्थित तिवारी मंदिर में आलम का प्रतिष्ठान है। यह उनका पैतृक व्यवसाय है। पिता मो.असलम वर्ष 1992 से मनोयोग पूर्वक देवी देवताओं को विविध आकार में ढालते हैं। आलम पांच भाई हैं। सभी पिता व आलम का सहयोग करने में पीछे नहीं रहते। छोटी सी दुकान से थोक का कारोबार होता है। गोंडा, बहराइच, बस्ती, अंबेडकरनगर, सुलतानपुर आदि आसपास के जिलों से यहां आकर व्यवसायी थोक में चित्रों को खरीदते हैं। आलम का कहना है कि कनक भवन विहारी का चित्र यहां की खास पहचान है। चित्रों में अलग से जरी की कारीगरी की जाती है। इसकी डिमांड बहुत है। हजार पीस महीने में बिक जाते हैं। अन्य देवी देवताओं के चित्र भी खूब बिकते हैं। वे बताते हैं कि दीपावली के कारण इन दिनों गणेश लक्ष्मी के चित्रों की डिमांड है। इन दिनों वे इन्हीं दोनों चित्रों की फ्रेमिग को प्राथमिकता के तौर पर तैयार कर रहे हैं। वह बताते हैं कि अयोध्या घर है, लोग बहुत प्यार देते हैं।