मध्यस्थता की कोशिशों को नए सिरे से दी गई धार, आल इंडिया मुस्लिम फोरम के प्रतिनिधि पहुंचे अयोध्या Ayodhya News
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विवाद का हल निकलने पहुंचा अखिल भारतीय मुस्लिम फोरम का प्रतिनिधिमंडल। निर्मोही अखाड़े से की मुलाकात।
अयोध्या, जेएनएन। मंदिर-मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई के बीच यदि माह-डेढ़ माह में फैसला आने की उम्मीद की जा रही है तो मध्यस्थता से मसले के हल की उम्मीदें भी बरकरार हैं। गत सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मध्यस्थता पैनल को प्रयास जारी रखने की इजाजत दी थी। इस दिशा में मंगलवार को आल इंडिया मुस्लिम फोरम के प्रतिनिधियों ने रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जनमेजयशरण के आश्रम जानकीघाट बड़ास्थान पहुंचकर इन उम्मीदों को धार दी।
मुस्लिम फोरम के प्रतिनिधि मंडल में लखनऊ निवासी अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमीर हैदर, प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री मुईद अहमद, कस्टम विभाग के सेवानिवृत्त आयुक्त तारिक गौरी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीडी नकवी, सामजिक कार्यकर्ता वहीद सिद्दीकी एवं सीआरपीएफ के पूर्व आइजी आफताब अहमद खां सहित इस मुहिम के समन्वयक उत्तम शर्मा शामिल थे। इस दौरान संतों के सम्मुख अपना एजेंडा पेश करते हुए आफताब अहमद ने कहा कि अयोध्या विवाद का सद्भावपूर्ण हल निकलना चाहिए। भगवान राम भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए पूज्यनीय हैं।
भगवान राम का मंदिर अयोध्या में बने। यह हम ही नहीं 99 फीसद मुस्लिम भी चाहते हैं। हमें उन लोगों से बचना होगा जो निजी लाभ के लिए ङ्क्षहदुओं-मुस्लिमों को लड़ा रहे हैं। तारिक गौरी ने कहा, राममंदिर अवश्य बने और वहीं बने। मैं स्वयं कारसेवा में आऊंगा पर मुल्क के वास्ते आगे ऐसे मुद्दे न छेड़े जाएं। पूर्व मंत्री मुईद अहमद ने कहा, हम मुहब्बत के भूखे हैं। सुप्रीम कोर्ट यदि मस्जिद के हक में फैसला करता है, वहां राममंदिर का निर्माण चाहेंगे। महंत जनमेजयशरण सहित इस मौके पर मौजूद रामजन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास, अखाड़ा के अधिवक्ता रणजीतलाल वर्मा, नागा रामलखनदास आदि ने भी मुस्लिम फोरम के प्रतिनिधियों के रुख का स्वागत किया।
फोरम का सुझाव चार सूत्री
मुस्लिम फोरम के चार सूत्री सुझाव में विवादित स्थल मंदिर के लिए छोडऩे की बात कही गई है। अयोध्या में किसी मुनासिब जगह पर मुसलमानों को 10 एकड़ जमीन देने, धार्मिक स्थलों की यथास्थिति कायम रखने तथा 1991 में बने द प्लेसेज ऑफ वर्शिप को पूर्णत: लागू करने की बात कही गई है।