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मंदिर आंदोलन थमने के बावजूद राजनीति के केंद्र में रामनगरी

भव्य मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या गढ़ने में लगी भाजपा की केंद्र एवं प्रदेश सरकार

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 12:49 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 01:18 AM (IST)
मंदिर आंदोलन थमने के बावजूद राजनीति के केंद्र में रामनगरी

अयोध्या (रघुवरशरण): रामलला के हक में नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम फैसला आने के साथ मंदिर आंदोलन की जरूरत नहीं रह गई। इसके बावजूद रामनगरी राजनीति के केंद्र में है। राजनीतिज्ञ रामनगरी की ओर लगभग वैसी ही शिद्दत से उन्मुख हैं, जिस शिद्दत से वे 1989 से 92 के दौरान मंदिर आंदोलन के उभार के दिनों में उन्मुख थे। इनमें भाजपा तो है ही। बसपा, सपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, ओवैसी की एआइएमआइएम एवं राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी जैसी पार्टियां भी शामिल हैं। भाजपा तो रामनगरी को लेकर जरा भी गफलत में नहीं है। मार्च 2017 में शपथ ग्रहण करने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साढ़े चार वर्ष की अवधि में 27 बार अयोध्या आ चुके हैं। गत वर्ष 25 मार्च को यदि मुख्यमंत्री ने रामलला के विग्रह को अपने हाथों से उठा कर वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित किया, तो गत वर्ष ही पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। भव्य मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या विकसित करने के अनेक प्रकल्प संयोजित कर केंद्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकार श्रीराम और रामनगरी से सरोकार अर्पित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा की बढ़त रोकने के लिए बसपा भी कमर कस कर अयोध्या की ओर दौड़ लगा चुकी है। 23 जुलाई को शीर्ष बसपा नेता एवं राज्यसभा सदस्य सतीश मिश्र ने रामनगरी के मुहाने पर न केवल ब्राह्मण सम्मेलन के माध्यम से रामलला के प्रति सरोकार ज्ञापित किया, बल्कि रामलला के सम्मुख श्रद्धावनत होकर उन्होंने स्वयं को भाजपा नेतृत्व से बड़ा रामभक्त बताने का प्रयास किया। मिश्र के निकट सहयोगी एवं जिला पंचायत के पूर्व सदस्य करुणाकर पांडेय के अनुसार सच्ची रामभक्ति और राष्ट्रीयता संपूर्ण समाज को एकसूत्र में पिरो कर रखना है और यह काम बसपा से बेहतर कोई और नहीं कर सकता। कुछ ऐसा ही दावा गत माह के अंत में रामनगरी पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं कांग्रेस मेनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन सलमान खुर्शीद ने किया। उन्होंने श्रीराम के उदात्त मानवीय आदर्श और अयोध्या की साझी विरासत के प्रतिनिधित्व का दावा किया। अगस्त माह की 23 तारीख को ही सपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र सोलंकी ने पुण्य सलिला सरयू के साथ कुछ प्रमुख मंदिरों का पूजन किया तथा करतलिया भजनाश्रम के महंत रामदास त्यागी से आशीर्वाद लिया। महंत रामदास का कहना है कि सपा नेतृत्व किसी अन्य दल के नेतृत्व से कुछ अधिक ही धार्मिक है। आम आदमी पार्टी भी प्रदेश व्यापी तिरंगा यात्रा का आगाज रामनगरी से ही करने की तैयारी में है।

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सनातन संस्कृति को मुख्य धारा में लाने का प्रयास

- धर्म और राजनीति का समीकरण राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी से भी परिभाषित हो रहा है। उपदेशक की भूमिका से राजनीति में हाथ आजमा रहे देवमुरारी बापू ने गत माह ही इस दल की कमान संभाली है। पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष नामित होने के बाद देवमुरारी बापू ने मथुरा, काशी के साथ अयोध्या को केंद्र बना रखा है। इस दावे के साथ कि भारत की सनातन संस्कृति राजनीति की मुख्य धारा में उपेक्षित है और यह विरासत राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी सहेजेगी। इस एजेंडे के साथ वे रामनगरी के संतों के नियमित संपर्क में हैं।

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मुस्लिमों की उपेक्षा पर चिता जता गए ओवैसी

- मंगलवार को जिले के ही रुदौली नगर में सभा कर एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी रामनगरी में निहित राजनीति अपने हक में परिभाषित कर गए। उन्होंने अपनी बात इशारो में की और कहा, प्रदेश में मुस्लिम उपेक्षित है और उसका हित एआइएमआइएम से जुड़ने पर सुनिश्चित होगा।


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