84 कोसी परिक्रमार्थियों के सामने होगा पेयजल का संकट
बीकापुर (अयोध्या) मखौड़ा मठ से शुरू होने वाली चौरासी कोसी परिक्रमा का सातवां पड़ाव स्थल सीताकुंड होगा। बीकापुर ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत तोरोमाफी में स्थित प्राचीन सीताकुंड स्थल पर प्रति वर्ष चौरासी कोसी परिक्रमा में शामिल साधु-संत व गृहस्थों की जमात आती है और रात्रि में विश्राम कर दूसरे दिन सुबह अगले पड़ाव के लिए रवाना होती है लेकिन इस बार परिक्रमार्थियों को स्वछ पेयजल के संकट से रूबरू होना पड़ेगा।
बीकापुर (अयोध्या) : मखौड़ा मठ से शुरू होने वाली चौरासी कोसी परिक्रमा का सातवां पड़ाव स्थल सीताकुंड होगा। बीकापुर ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत तोरोमाफी में स्थित प्राचीन सीताकुंड स्थल पर प्रति वर्ष चौरासी कोसी परिक्रमा में शामिल साधु-संत व गृहस्थों की जमात आती है और रात्रि में विश्राम कर दूसरे दिन सुबह अगले पड़ाव के लिए रवाना होती है, लेकिन इस बार परिक्रमार्थियों को स्वच्छ पेयजल के संकट से रूबरू होना पड़ेगा।
धार्मिक स्थल सीताकुंड पर साधु संतों को दोपहर में चना और गन्ने का रस दिया जाता है और फिर शाम को सभी को भोजन प्रसाद दिया जाता है। इसकी व्यवस्था पूर्व ग्राम प्रधान व यहां स्थित श्रीहनुमान मंदिर के सरबरहकार सुरेशचंद्र पांडेय करते हैं। बावजूद इसके, चौरासीकोसी परिक्रमा करने वाले लोगों के रुकने की समुचित व्यवस्था नहीं है। पेयजल के नाम पर दो इंडिया मार्का-टू हैंडपंप तो लगे हैं, परन्तु ठीक से नहीं चलते। साधु-संत यहां स्थित सरोवर में स्नान आदि करते हैं। प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे पूरी रात्रि यह लोग रामभरोसे रहते हैं। सुरेशचंद्र पांडेय ने विधायकों, सांसदों से अनेक बार सड़क, पेयजल, प्रकाश और छाया सहित रसोईघर जैसी जरूरतों की पूर्ति की मांग लगातार करते रहते हैं, पर अबतक कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई है। पूर्व में रही भाजपा सरकार के प्रतिनिधियों ने इस स्थल का समुचित विकास कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का आश्वासन दिया था। परिक्रमार्थी पूरी सड़क न होने की दशा में कुछ पगडंडी और कुछ सड़क मार्ग से अपनी परिक्रमा अगले पड़ाव स्थल इनायतनगर थाना क्षेत्र के रूरूखास के लिए तय करते हैं।
----------------------- कांटों भरी आस्था की डगर रुदौली : 84कोसी परिक्रमा के अहम पड़ाव में शुमार मलकनिया मंदिर को अब भी अनेक सुविधाओं की दरकार है। यहां न बिजली की सुविधा नसीब हो सकी है और न ही परिक्रमार्थियों के रात्रि विश्राम की पर्याप्त व्यवस्था की जा सकी है। इस बीच 84 कोसी परिक्रमा का रास्ता बदलने से लोगों में मायूसी है। नगरवासियों ने केंद्रीय सड़क व भूतल परिवहन मंत्री को शिकायतीपत्र भेजकर परिक्रमामार्ग पूर्ववत रखने की मांग की है।
हनुमान मंदिर के निकट श्रद्धालुओं के रुकने के लिए छोटी बारादरी बनी हुई है। परिक्रमा में भाग लेने वाले श्रद्धालु एक रात यहां विश्राम कर अगले दिन पटरंगा के लिए कूच करते हैं। परिक्रमार्थियों के रहने के साथ ही उनके भोजन व ठहरने की व्यवस्था की जाती है। परिक्रमार्थियों के ठहरने के लिए बनी बारादरी छोटी है। अनेक श्रद्धालुओं को बाहर ही रहना पड़ता है। अमानीगंज से निकलने के बाद परिक्रमा पूरेमलिक, नयागंज, मंगलबाजार, सालार, ख्वाजाहाल, टेढ़ी बाजार, नवाबबाजार, शेखाना, रसूलाबाद, वजीरगंज होते हुए रौजागांव की तरफ चली जाती है। नगर से होकर जाने वाला परिक्रमापथ जगह-जगह टूटा है। नए प्रस्ताव के अनुरूप परिक्रमा मार्ग बन जाने पर बाद परिक्रमा अमानीगंज मार्ग स्थित देवरनिया जेठनिया के पास से मीरापुर होते हुए रेछघाट मार्ग स्थित पेट्रोल पंप के निकट होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग में मिल जाएगी। नगर के व्यापारी शिवप्रसाद यज्ञसैनी, शिवनाथ कसौधन, प्रेम गुप्त, आलोक गुप्त, मोहम्मद अतीक खां, सुल्तानअहमद व कामरान ने सांसद लल्लू सिंह से पूर्व निर्धारित मार्ग से 84कोसी परिक्रमा मार्ग का निर्माण कराने व परिक्रमा मार्ग पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
महबूबगंज संवादसूत्र के मुताबिक तमसा में जल ही नहीं है। यहां नगर की गंदे नालों का पानी है। कभी सदानीरा रहने वाली मां तमसा अतिक्रमण व गंदगी से सिमट कर नाले की शक्ल में आ गई हैं। इसकी दयनीय स्थिति को देखकर विश्वास ही नहीं होता है कि त्रेतायुग में भगवान राम वन जाते समय पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ इस नदी के तट पर प्रथम रात्रि विश्राम किया था। गोसाईंगंज नगर के निवासी अशोक चौरसिया ने तमसा बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर उसमें कई लोगों को जोड़कर इस नदी के स्वच्छता अभियान के साथ इसकी खोई प्रतिष्ठा वापस लाने की भरपूर कोशिश की। कई बार हस्ताक्षर अभियान चलाया। साहित्यकार बैकुंठनाथ गुप्त, पूर्व सभासद देवीप्रसाद गुप्त, सभासद प्रशांत गुप्त, रमेश पांडे, पंकज सिंह आदि ने नदी की खोई प्रतिष्ठा वापस लाने की मांग की है।