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25 लाख हो तो पाली क्लीनिक को मिले बिजली कनेक्शन

अयोध्या लगभग नौ करोड़ की लागत से पशुपालन विभाग का पाली क्लीनिक का भवन लगभग बनकर तैयार

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 12:28 AM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 12:28 AM (IST)
25 लाख हो तो पाली क्लीनिक को मिले बिजली कनेक्शन

अयोध्या : लगभग नौ करोड़ की लागत से पशुपालन विभाग का पाली क्लीनिक का भवन लगभग बनकर तैयार है। कार्यदायी संस्था यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन लि. इकाई-23 बस्ती की वजह से पशुपालन विभाग को लगभग 25 लाख रुपये कर चपत लगने के आसार बढ़े हैं। उसे हैंडओवर के लिए दिख रही पशुपालन विभाग की तेजी अब गायब है।

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कार्यदायी संस्था को यह झटका सेना अभियंत्रण सेवा (एमईएस) के बिजली कनेक्शन न देने से लगा है। एमईएस ने उसके पास लोड अधिक होने से इंकार कर दिया है। इंकार के बाद निर्माण के लिए अस्थाई बिजली कनेक्शन का सवाल उठा तो एमईएस ने कहा, किसी ने इसके लिए आवेदन ही नहीं किया। जिस स्थल पर पाली क्लीनिक निर्माणाधीन रहा, उस पशुपालन विभाग के पास तीन फेस का बिजली कनेक्शन पहले से है। हो सकता है, उसी की वजह से आवेदन न किया हो। अस्थाई बिजली कनेक्शन के सवाल पर एडी ग्रेड-दो पशुपालन डा. मार्कंडेय ने जल्द प्रभार मिलने की जिम्मेदारी बता पटल प्रभारी लिपिक दिनेश सोनी को बुलाया तो उसने कहा, जनरेटर का भी इस्तेमाल होता रहा। बकाये में बिजली कनेक्शन कटने के बाद जब कार्यदायी संस्था ने जनरेटर का उपयोग नहीं करने दिया तो उसे विभाग से बिजली का सहयोग देना बंद कर दिया गया।

यह पाली क्लीनिक कैंट क्षेत्र में स्थित उप निदेशक पशुपालन के कार्यालय परिसर में है। बिजली कनेक्शन के लिए लगभग 25 लाख रुपये पावर कारपोरेशन को चाहिए। सीवीओ डा. अनिल कुशवाहा के आवेदन पर सिविल लाइन उपकेंद्र के अवर अभियंता अभिषेक मिश्र ने आगणन बनाया है। एसटी व एलटी लाइन के लिए करीब 20 पोल में लगभग सात सौ मीटर केबिल लगेगी। 45 किलोवाट के लिए सौ केवीए का ट्रांसफारमर का आगणन में प्रावधान है। जेई के अनुसार कनेक्शन के लिए धनराशि जमा करने के बाद बाद कम से कम दो महीने लगेंगे।

सीवीओ डा. कुशवाहा के अनुसार एमईएस के इंकार करने पर बिजली कनेक्शन पर व्यय की जाने वाली धनराशि की मांग निदेशालय से की जाएगी। कार्यदायी संस्था को बिजली कनेक्शन युक्त भवन सौंपना शामिल है, उसके पास इस मद में लगभग ढाई लाख ही रुपये हैं। शुरुआत में स्थल चयन को लेकर पाली क्लीनिक पहली बार इसलिए विवादों में आया था कि सैन्य क्षेत्र में उपचार के लिए मवेशी ले जाना आसान नहीं होगा। निर्माण शुरू होने पर 50 लाख रुपये से अधिक लागत वाली परियोजना में इसे शामिल न करने पर अधिकारियों की चुप्पी भी चौंकाने वाली रही। भवन जब बनकर तैयार हो गया तो हैंडओवर करने से पहले बिजली कनेक्शन को लेकर कार्यदायी संस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है।


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