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शहरी आजीविका केंद्र के प्रबंधक से पौने दो करोड़ की वसूली के आदेश

प्रबंधक को अनियमित तरीके से की गई एक करोड़

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:34 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 11:34 PM (IST)
शहरी आजीविका केंद्र के प्रबंधक से पौने दो करोड़ की वसूली के आदेश
शहरी आजीविका केंद्र के प्रबंधक से पौने दो करोड़ की वसूली के आदेश

अयोध्या : नगर निगम अयोध्या में आउट सोर्सिंग कर्मियों की सप्लाई के एवज में शहरी आजीविका केंद्र के प्रबंधक को अनियमित तरीके से की गई एक करोड़ 82 लाख रुपये की वसूली का आदेश निगम के आयुक्त ने दिया है। निगम के आयुक्त ने प्रबंधक को पत्र भेजकर आदेश दिया कि 15 दिन के भीतर अद्यतन जीएसटी के मद में भुगतान हुई धनराशि को निगम के खाते में जमा करें। इसके साथ ही कार्यवाही से अवगत कराने का निर्देश भी दिया।

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आजीविका केंद्र को अकुशल, अ‌र्द्ध कुशल, कुशल एवं अतिकुशल श्रेणी के कर्मियों की आपूर्ति के लिए मानदेय की धनराशि पर 18 फीसद जीएसटी की रकम जोड़कर इसका भुगतान हुआ है। प्रबंधक को भेजे गए पत्र में नगर आयुक्त ने साफ किया है कि ये भुगतान प्रबंधक के देयक के अनुसार ही किया गया। अनियमित भुगतान में तत्कालीन नगर आयुक्त व लेखाधिकारी की मिलीभगत की भी चर्चा है। दरअसल लेखाधिकारी अधिकारी के रहते नियम विरुद्ध तरीके से प्लोर लेबर स्प्लाई पर जीएसटी का भुगतान कैसे हुआ, ये सवाल है।

जानकार प्रकरण को गंभीर बता रहे हैं। पूरा का पूरा मामला लेखा परीक्षा की जांच में सामने आया तो हड़कंप मच गया। इसकी भनक महापौर ऋषिकेश उपाध्याय को लगी तो उन्होंने जांच के निर्देश दिए थे, जिसमें अनियमितता सामने आई। जांचकर्ताओं ने बताया कि जब से जीएसटी लागू हुई तब से निगम में यह गड़बड़ी की जाती रही है। गत वर्ष के नवंबर माह तक ये धनराशि एक करोड़ 82 लाख है। जांचकर्ताओं के अनुसार नियमत: प्योर लेबर सप्लाई पर जीएसटी लागू नहीं है पर निगम के अधिकारियों ने इसे नजरंदाज कर फर्म को पारिश्रमिक भुगतान के साथ जीएसटी की धनराशि का भुगतान करते रहे। जीएसटी की रकम का आगणन नवंबर 2018 तक हुआ है पर सूत्रों के अनुसार मार्च तक इसका भुगतान किया गया है। ------------------------ विभागीय जिम्मेदारी तय करने से किनारा

अयोध्या: जीएसटी के रूप में अधिक भुगतान का मामला गंभीर है। नगर आयुक्त ने शहरी आजीविका केंद्र के प्रबंधक से वसूली की प्रक्रिया तो शुरू की लेकिन विभागीय जिम्मेदार पर कार्रवाई से किनारा कस लिया। इतनी बड़ी रकम के बेजा भुगतान में तत्कालीन नगर आयुक्त व लेखाधिकारी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है पर अभी तक इस ओर कार्रवाई का इंतजार है।


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