धरातल पर न मिल सका रोजगार, कागजों में दौड़ रहीं उम्मीदें
जागरण संवाददाता औरैया रोजगार की तलाश में शहर पहुंचे लोग कोरोना महामारी की आपदा अ
जागरण संवाददाता, औरैया: रोजगार की तलाश में शहर पहुंचे लोग कोरोना महामारी की आपदा आने पर काम धंधा ठप हो जाने से अपने गांव की ओर लौट रहे हैं जहां वह पले बढ़े। मजदूर को पेट पालने की मजदूरी ने शहर की ओर आकर्षित किया था लेकिन मुसीबत काल में अपने गांव ही सहारा बन रहा है। लोगों को उम्मीद है कि अपने गांव में तो जैसे तैसे भरण पोषण हो ही जाएगा। जिससे वह गांव लौट आए हैं। अब उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। वहीं धरातल में लोग अब भी काम की मांग कर रहे वहीं कागजों में उम्मीदें दौड़ रहीं है।
सरकारी आंकड़ो की बात करें तो जनपपद में 12 हजार के करीब लोग प्रवासी आ चुके हैं। जिसमें ज्यादातर बेबस मजदूर काम की तलाश में बैठे हैं । ग्राम प्रधान से काम की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हे काम नहीं मिल रहा है। वहीं अन्य बड़े जिम्मेदारी अधिकारी उन्हे सिर्फ आश्वासन ही दे रहे हैं। बेरोजगार लोगों का कहना है कि जिम्मेदार लोग थोड़ा ध्यान दे लेंगे तो परिवार की गाड़ी खींचना आसान हो जाएगा। केस-1 विकास खंड एरवाकटरा के ग्राम पंचायत वहबा निवासी पुणे से लॉकडाउन के चलते अपने गांव लौट आए हैं। जिससे अब काम की तलाश कर रहे हैं। कई बार प्रधान से मनरेगा में काम मांग चुके हैं लेकिन काम नहीं मिल रहा है। केस-2 विकासखंड वहबा गांव के ही हरिओम शर्मा भी अपने गांव लौट आए हैं। काम की तलाश रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हे कहीं काम नहीं मिल सका है जिससे भरण पोषण कर सकें। केस-3 विकास खंड सहार के ग्राम पंचायत सौंथरा अड्डा निवासी संतोष कुमार अपने गांव लौट आए हैं। जिनका अभी तक जॉब कार्ड नहीं बन पाया है। इससे पहले यह पटना में एक होटल में काम करते थे। -बाहर से जनपद में अबतक 4808 लोगों को मनरेगा के तहत काम दिया जा चुका है। जिले की 477 में 452 ग्राम पंचायतों में काम चल रहा है।
हरेंद्र कुमार सिंह, परियोजना निदेशक श्रम विभाग ने 19 को माना पंजीकरण लायक
कानून 40 प्रकार के कार्य करने वाले श्रमिकों को शामिल करने का है। श्रम विभाग की लापरवाही देखिए कि 12 हजार में महज 19 का ही पंजीकरण विभाग कर सका है। 19 को ही विभाग पंजीकृत मानता है। विभाग के अधिकारी भी चुप्पी साधे है।