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भाजपा के लिए ब्लॉक प्रमुख का पद बना प्रतिष्ठा का सवाल

संवादसूत्र बकेवर प्रधानी व बीडीसी के चुनाव की चर्चा अभी थमी भी नहीं कि अब ब्लाक प्रमुख चुनाव क

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 05:12 PM (IST)
भाजपा के लिए ब्लॉक प्रमुख का पद बना प्रतिष्ठा का सवाल
भाजपा के लिए ब्लॉक प्रमुख का पद बना प्रतिष्ठा का सवाल

संवादसूत्र, बकेवर : प्रधानी व बीडीसी के चुनाव की चर्चा अभी थमी भी नहीं कि अब ब्लाक प्रमुख चुनाव के लिए चर्चा जोरों पर हो गयी है। पिछले पंचवर्षीय में इस ब्लाक में सपा समर्थित ब्लाक प्रमुख प्रमोद यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद हुए चुनाव के संघर्ष में प्रमुख का ताज भाजपा नेता अशोक चौबे के सिर बंधा था। इस बार प्रमुख का पद एससी वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। भाजपा के लिए ब्लाक प्रमुख का पद प्राप्त करना प्रतिष्ठा की लड़ाई होगा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उसे असफलता जो मिली है, इसलिए वह किसी भी कीमत में ब्लाक प्रमुख का पद अब नहीं गंवाना चाहेगी। इस बार भी राजनीति के धुरंधर पर्दे के पीछे से गुणा-भाग करने में लग गए हैं। हालांकि इस बार यह पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के चलते बीडीसी का शेयर धड़ाम होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इस पद पर अब तक सिर्फ दो प्रमुख नामों की चर्चा ज्यादा हो रही है उनमें शेरपुर रसूलपुर से निर्विरोध निर्वाचित भाजपा के पूर्व विधायक केके राज की पत्नी बबिता राज व सपा की ओर से हाल ही में सपा में शामिल हुए बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र की पत्नी पवित्रा देवी जो कि सुनवर्षा से अपनी ही पार्टी के पूर्व सांसद की पुत्री शैलशिखा कठेरिया को पराजित कर बीडीसी बनी हैं। पिछले पंचवर्षीय में सपा नेता ब्लाक प्रमुख महेवा प्रमोद यादव के खिलाफ भाजपा नेता गोविद त्रिपाठी की पत्नी रीना त्रिपाठी बीडीसी इकनौर ने अविश्वास प्रस्तुत किया था। 30 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन अपर जिलाधिकारी जितेंद्र कुमार कुशवाहा के समक्ष प्रस्ताव पर बहस हुई थी। मतदान होने की नौबत आने पर ब्लाक प्रमुख के पक्ष के क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने बहिष्कार कर दिया था। इससे कुल 106 सदस्यों में से 70 ने मतदान में भाग लिया था। मतगणना से कुछ समय हाईकोर्ट के आदेश पर मतगणना नहीं कराई गई। बाद में भाजपा नेता गोविद त्रिपाठी भी न्यायालय गए और वोटों का परिणाम घोषित होने के बाद ब्लाक प्रमुख के पद से प्रमोद यादव को पदच्युत होना पड़ा। अविश्वास प्रस्ताव के बाद हुए चुनाव में भाजपा ही आमने-सामने हुई जिसमें भाजपा नेता गोविद त्रिपाठी की पत्नी रीना त्रिपाठी को पराजय का सामना करना पड़ा था और जीत का सेहरा भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष अशोक चौबे के सिर बंधा था। अब जब इस पंचवर्षीय में ब्लाक प्रमुख का पद अनुसूचित के लिए आरक्षित हो गया है तब भी सपा और भाजपा इस ब्लाक प्रमुख के पद को अपने पाले में रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाऐगी। सपा जहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मिली सफलता से उत्साह से लबरेज है तो इस स्थिति में उसके नेता पूरा जोर लगाएंगे कि ब्लाक प्रमुख उनका ही हो।

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