एक बेड पर दो मरीज भर्ती करने पर उठाए सवाल
जागरण संवाददाता इटावा इस समय डा. बीआर आंबेडकर जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्
जागरण संवाददाता, इटावा : इस समय डा. बीआर आंबेडकर जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। अस्पताल में बेड पर्याप्त हैं तो एक बेड पर दो मरीज क्यों भर्ती किए जा रहे हैं। यह सवाल उठाते हुए जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. एमएम आर्या ने अधीनस्थों को निर्देश दिया कि मरीज व तीमारदार जो खाना लाकर खाते हैं उस पर पैनी नजर रखी जाए।
उनका कहना था कि जब अस्पताल में बेड पर्याप्त हैं तो एक बेड पर डबल मरीज क्यों। उन्होंने बताया कि वायरल बुखार के कुल 87 के सापेक्ष 20 मरीज भर्ती हैं। सोमवार को मुख्य रजिस्ट्रेशन काउंटर से 1250 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। जबकि 138 मरीज डेंगू की जांच कराने लैब में पहुंचे जिनमें 40 नमूना जो संदिग्ध मिले उनको जांच के लिए उप्र आयुर्विज्ञान विश्व विद्यालय सैफई भेजा गया। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. पीके गुप्ता ने कहा कि सोमवार को तकरीबन 155 बच्चे उपचार के लिए पहुंचे तथा वायरल बुखार के 620 मरीज ओपीडी में आये जिनको उपचार दिया गया। शासन के निर्देश पर हर मरीज को उपचार दिया जा रहा है।
तीन झोलाछाप के विरुद्ध दर्ज कराया मुकदमा
जागरण संवाददाता, इटावा : कचौरा मार्ग पर पूठन सकरौली गांव में तीन झोलाछाप के क्लीनिक पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने छापेमारी की थी। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
डिप्टी सीएमओ डा. अवधेश यादव ने बताया कि सीएमओ डा. भगवान दास के निर्देश पर नोडल अधिकारी डा. यतेंद्र राजपूत ने 21 अक्टूबर को इस गांव में जांच अभियान चलाया था। इनके क्लीनिक का शटर खुला हुआ था और दुकान खुली पाई गई थी। वहां पर नोटिस चस्पा कर दिया गया था और 25 अक्टूबर को सीएमओ कार्यालय में उपस्थित होने को कहा गया था। लेकिन तीनों उपस्थित नहीं हुए इस पर इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर के छापे में झोलाछाप राकेश कुमार राजपूत को क्लीनिक छोड़ कर भाग जाने पर नोटिस दिया था । सोमवार को निरीक्षण में वह उपचार करते मिले। उन्होंने चिकित्सा करने के सभी प्रपत्र लेकर सीएमओ कार्यालय तलब किया था, लेकिन वह नहीं आये इस पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
इसी क्रम में झोलाछाप रमेश सिंह को उपचार करते हुए पाया तथा विकास बाबू को भी उपचार करते हुए पाया। इन तीनों को 21 अक्टूबर को ही नोटिस देकर मुख्यालय बुलाया गया था। नहीं आने पर ऐसा प्रतीत हुआ कि इनके पास वैध चिकित्सा करने के कोई प्रमाण पत्र नहीं हैं। इसलिए उनके खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।