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तहरीर बदलने के दबाव ने बढ़ाया आक्रोश,लगाया जाम

आशा शुक्ला की पड़ोसियों द्वारा घर में घुसकर हत्या किए जाने की घटना के दो घंटे बाद ही सदर कोतवाली में पुत्र रोशन उर्फ गौरव द्वारा तहरीर दे दी गई थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 09:43 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 06:26 AM (IST)
तहरीर बदलने के दबाव ने बढ़ाया आक्रोश,लगाया जाम
तहरीर बदलने के दबाव ने बढ़ाया आक्रोश,लगाया जाम

जागरण संवाददाता, इटावा : आशा शुक्ला की पड़ोसियों द्वारा घर में घुसकर हत्या किए जाने की घटना के दो घंटे बाद ही सदर कोतवाली में पुत्र रोशन उर्फ गौरव द्वारा तहरीर दे दी गई थी। इस पर मुकदमा कायम करने में पुलिस ने छह घंटे लगा दिए। तहरीर में शासन सत्ता से सीधा जुड़ाव रखने वाले रसूखदार लोगों को नामजद किया गया था, इसलिए पुलिस प्रशासन पीड़ित पक्ष पर शाम तक तहरीर बदलने के लिए दबाव बनाता रहा। समय रहते कार्रवाई न होने से घुमड़ता रहा आक्रोश आखिरकार देर शाम तक फूट ही पड़ा और पुलिस प्रशासन को उसी तहरीर पर मुकदमा कायम करना पड़ा।

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आशा के पुत्र रोशन उर्फ गौरव के मुताबिक पुलिस शुरू से ही तहरीर बदलने के लिए दबाव बनाती रही थी। पुलिस को तहरीर में नामजद कुछ लोगों के नाम पर आपत्ति थी। इस वजह से पीड़ित परिजनों सहित उसको कोतवाली से लेकर अधिकारियों के दरवाजे तक भटकना पड़ा। मुख्यमंत्री पोर्टल पर तहरीर अपलोड कर शिकायत की। एसएसपी से मिलने के लिए उनके आवास पर गये तो उनकी तरफ से पीआरओ ने मूल तहरीर के आधार पर ही मुकदमा कायम किए जाने का आश्वासन दिया लेकिन उस पर तुरंत अमल नहीं किया गया। इस बीच एक पुलिस अधिकारी ने अपनी बाइट का वीडियो जारी कर सिर्फ एक आरोपी का जिक्र करते हुए उसके विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर आवश्यक विधिक कार्रवाई किए जाने की बात कही। इससे साफ था कि पुलिस प्रशासन संतोषजनक कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं था।

डेढ़ साल पहले शादी पर हुई थी मारपीट ऋचा शुक्ला निवासी नुमाइश पांडाल के पास ने बताया कि उसके भाई रोशन उर्फ गौरव की शादी करीब डेढ़ साल पहले हुई थी। घर पर शादी की रस्मों के दौरान घर के सामने बाइक खड़ी करने को लेकर आरोपी पक्ष के लोगों ने भाई के साथ मारपीट की थी। तीन बहनों और एक भाई में ऋचा बड़ी है। उसकी शादी हो चुकी है। जबकि दो अविवाहित बहनों में नीतू शुक्ला प्राइवेट स्कूल में अध्यापन करती रही है और राखी एलएलबी की पढ़ाई कर रही है। भाई रोशन उर्फ गौरव छैराहा ढाल पर प्लमबरिग की दुकान किए हुए है। पिता गंगाधर शुक्ला का निधन करीब 12 साल कैंसर की बीमारी से हो गया था। वह भांग के ठेकेदार थे। उनके निधन के बाद मां आशा शुक्ला ने तीनों बच्चों की आवश्यकताओं की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। ऋचा शुक्ला बताती हैं कि इन दिनों उसके मायके वाले घर में काम चल रहा था तभी पड़ोसियों द्वारा हमला किया गया।


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