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बिना पंजीयन चल रहे नर्सिंग होम पर गिरेगी गाज

जागरण संवाददाता इटावा जनपद में तकरीबन 230 से अधिक नर्सिंग होम व चिकित्सालय संचालित हैं जबकि मुख्य चिकित्साधिकारी के कार्यालय में पंजीयन की अनिवार्यता के बाद भी मात्र 25 नर्सिंग होम ही पंजीकृत हैं। शेष नर्सिंगहोम व चिकित्सालयों का कोई लेखाजोखा जिम्मेदार विभाग के पास मौजूद नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:20 AM (IST)
बिना पंजीयन चल रहे नर्सिंग होम पर गिरेगी गाज
बिना पंजीयन चल रहे नर्सिंग होम पर गिरेगी गाज

जागरण संवाददाता, इटावा : जनपद में तकरीबन 230 से अधिक नर्सिंग होम व चिकित्सालय संचालित हैं, जबकि मुख्य चिकित्साधिकारी के कार्यालय में पंजीयन की अनिवार्यता के बाद भी मात्र 25 नर्सिंग होम ही पंजीकृत हैं। शेष नर्सिंगहोम व चिकित्सालयों का कोई लेखाजोखा जिम्मेदार विभाग के पास नहीं है। इसी के साथ बीमारी की जांच करने वाली पैथालॉजी की भी जिले में कमी नहीं है जबकि पंजीयन के नाम पर मात्र 19 पैथालॉजी ही दर्ज हैं। जिनकी जांच नोडल अधिकारी, एसीएमओ डा. महेश चंद्रा द्वारा की जा चुकी है। 29 अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की तैयारी चल रही है।

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मौसम बदलते ही जनपद में अवैध चिकित्सा कारोबार पनपने लगा है। इस समय जनपद के किसी भी गांव व कस्बा के साथ शहर में नर्सिंग होम संचालित करने के लिए जिले के सीएमओ कार्यालय में नियमानुसार पंजीयन कराने की अनिवार्यता की गयी है। बावजूद इसके मात्र 25 नर्सिंग होम ही पंजीकृत पाये गये। हैरत की बात यह है कि जिले के बकेवर, लखना, महेवा, अहेरीपुर, इकदिल, बसरेहर, जसवंतनगर, सैफई ऊसराहार, भरथना, चकरनगर, जैतपुरा सहित अनेक कस्बों में भी नर्सिंग होम व चिकित्सालय तो संचालित हैं लेकिन उनका लेखा-जोखा सीएमओ कार्यालय में नहीं है। मरीज को भर्ती कर बढ़ाते बिल : अपंजीकृत नर्सिंग होम संचालकों का आलम यह है कि वह अपने निहित स्वार्थ व धन लोलुपता के मोह में फंस कर मरीज को भर्ती करने से लेकर बोतल चढ़ाने से कोई गुरेज नहीं करते हैं। अपंजीकृत अस्पतालों के संचालक डाक्टर मरीज को खून की बोतल भी लगा कर मोटी रकम वसूल कर रहे हैं। इनको ब्लड की आपूर्ति कहां से होती है, जांच का विषय बना हुआ है। जनपद में संचालित अपंजीकृत चिकित्सालयों, नर्सिंग होम के साथ अवैध रूप से संचालित पैथालॉजी सेंटरों की जांच का अभियान शीघ्र चलाया जाएगा किसी को भी अवैध चिकित्सा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पहले चरण में पैथोलॉजी की जांच कराई गई है। नोडल अधिकारी डा. महेश चंद्रा के नेतृत्व में टीम का गठन कर दिया गया है। डा. अनिल कुमार अग्रवाल, मुख्य चिकित्साधिकारी


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