अब बारिश हुई तो पक रहीं फसलें होंगी बर्बाद
जागरण संवाददाता इटावा जनपद में धान बाजरा के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियां अब पकान की ओ
जागरण संवाददाता, इटावा :
जनपद में धान, बाजरा के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियां अब पकान की ओर हैं। बीते 20 दिन से बारिश न होने से किसानों ने किसी न किसी संसाधन से फसलों को सिचित करके बचा लिया। अब बारिश होना सभी फसलों के लिए खतरनाक साबित होगी। मौसम विभाग ने अभी आगामी सप्ताह तक इस क्षेत्र में मानसून सक्रिय रहना बताया है। इससे अधिकांश किसान फसलों की सुरक्षा को लेकर चितित हैं।
जनपद में जलवायु के मद्देनजर जुलाई से सितंबर के मध्य 619.6 एमएम बारिश होना चाहिए लेकिन इस साल अभी तक 467.4 एमएम बारिश हुई है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों की नजर में इतनी बारिश को भी पर्याप्त माना जा रहा है लेकिन बीते 20 दिनों से बारिश न होने तथा दिन में पूर्वाह्न से अपराह्न के मध्य तेज धूप होने से पक रही फसल के प्रभावित होने की चिता किसानों को सता रही है। जनपद में करीब 52 हजार हेक्टयर भूमि में धान, 20 हजार हेक्टयर भूमि में बाजरा तथा सब्जियों की फसल पकने की ओर अग्रसर है। दूसरी ओर कई प्रगतिशील किसान आलू की फसल तैयार करने को अपने संसाधनों से खेतों में परेवट कर रहे है। ऐसे में बारिश होने से फूल झड़ने से फसल बर्बाद होगी तथा जलभराव से आलू की बोबाइ प्रभावित होगी। अभी एक सप्ताह तक मानसून
कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन पाण्डेय का कहना है कि बीते 23-24 सितंबर को पूर्वाचंल क्षेत्र में कानपुर तक बारिश होने से उस क्षेत्र के किसानों को लाभ मिल गया। कानपुर से इटावा के मध्य बादल छाने तथा ठंडी हवा चलने से पक रही फसलों को नमी मिली। मानसून अभी आगामी चार अक्टूबर तक इस क्षेत्र में सक्रिय है, इसके बावजूद बारिश की संभावना कम है तथा दिन का तापमान कुछ दिनों तक 37 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। पर्याप्त बारिश से बेहतर उत्पादन
जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन सिंह का कहना है कि जनपद में 67 फीसद बारिश होना पर्याप्त है इससे बेहतर उत्पादन होने की उम्मीद है। अब फसल पकने के दौरान बारिश होना नुकसानदायक है। 20 दिन बारिश न होने पर अधिकतर किसानों ने विभिन्न संसाधनों से सिचाई कर ली जिससे फसल सुरक्षित है। फसल बचाने को किसान परेशान
संसू, बकेवर : इस साल कम बारिश होने से तथा दिन में तापमान अधिक होने से खेत की नमी बहुत जल्द सूख जा रही है, इससे किसान परेशान हैं। धान की फसल में किसानों को हर सप्ताह नहर रजवाहा से सिचाई करनी पड़ रही है। गनीमत है कि भोगनीपुर निचली गंगानहर व उससे निकले रजवाहों में अभी पानी का प्रवाह जारी है। जहाँ पानी नही पहुंच रहा वहाँ किसान निजी नलकूपों से खरीद कर सिचाई कर रहे है।किसान बबलू अग्निहोत्री, राधेश्याम, मंशाराम का कहना है कि यदि ये दो दिन कुछ बारिश हो जाती तो किसानों की खरीफ की धान बाजरा की फसल को काफी फायदेमंद साबित होती। अब फसल पकी होने के समय पानी गिरा तो फसल को नुकसान होगा।