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खाद की किल्लत से ढीली हो रही किसानों की जेब

संवादसूत्र उदी खाद की किल्लत से परेशान किसानों को बाजार से अधिक दामों में डीएपी खरीदनी पड

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 10:44 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 10:44 PM (IST)
खाद की किल्लत से ढीली हो रही किसानों की जेब
खाद की किल्लत से ढीली हो रही किसानों की जेब

संवादसूत्र, उदी : खाद की किल्लत से परेशान किसानों को बाजार से अधिक दामों में डीएपी खरीदनी पड़ रही है। क्षेत्र की अधिकतर सहकारी संस्थाएं किसानों की मदद करने में असहाय प्रतीत हो रही हैं। डीएपी खाद उपलब्ध नहीं हो पाने से सरसों व आलू की बोआई पिछड़ने से किसान चितित है।

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ब्लाक बढ़पुरा पारपट्टी क्षेत्र की अधिकांश साधन सहकारी समितियों के बंद होने के अलावा संचालित समितियों पर भी पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं होने से किसान कालाबाजारी में अधिक दाम देकर खाद खरीदने को विवश हैं। क्षेत्र की पांच साधन सहकारी समितियों में तीन उदी, मदायन एवं गढ़ायता कई वर्षों से बंद है, संचालित कामेत एवं चंद्रपुरा खुर्द पर खाद के लाले पड़े हुए हैं। समितियों के रजिस्टर्ड किसानों को भी खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। कामेत के सचिव नरेंद्र सिंह ने बताया कि खाद मांग के अनुसार उपलब्ध नहीं हो सकी है। किसानों को निर्धारित मानक पर एक बोरी खाद उसके आधार कार्ड एवं खतौनी पर दी जा रही है, यही स्थिति चंद्रपुरा खुर्द समिति की बतायी गई है। बाजार में भी दुकानों पर स्टाक समाप्ति के बोर्ड लगाकर चोर दरबाजों से कालाबाजारी करके अधिक धन देने वाले लोगों को ही खाद उपलब्ध कराई जा रही है। मध्य प्रदेश सप्लाई होने से बढ़ा संकट

उदी बाजार से मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जनपद भिड के लिए अधिक मात्रा में खाद की सप्लाई होती है। मध्यप्रदेश में खाद की मारामारी के चलते प्रतिदिन काफी संख्या में डीएपी खाद से लोड ट्रैक्टर-ट्राली खुलेआम सीमापार जाते हुए देखी जा सकती है। इसके चलते खाद विक्रेता कालाबाजारी कर रहे हैं, इसमें कुछ संपन्न किसान भी शामिल हैं। उपजिलाधिकारी सदर एन राम ने बताया कि खाद तो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कुछ समितियों पर सही व्यवस्था वितरण की नहीं हो पा रही है। जल्द ही लेखपालों को सहकारी समितियों के कर्मचारियों के साथ खाद का वितरण कराया जाएगा। किसानों का फूटा दर्द

उदी समिति के बंद रहने से हर साल डीएपी खाद के लिए भटकना पड रहा है।खाद की मारामारी के चलते बाजार से 1400 रुपये की बोरी खरीदनी पड़ी। अब यह भी पता नहीं कि वह असली है या नकली।

बसंत भदौरिया, नगला भवानी दास मेरा क्षेत्र कामेत समिति में आता है पंद्रह दिन तक परेशान होने के बाद भी जब खाद नहीं मिली तो बाजार से 1400 रुपये में खरीदनी पड़ी। समितियों की खाद भी चोर रास्ते से बाजार में बिक जाती है जो मध्यप्रदेश जा रही है।

रविद्र बहादुर भदौरिया, ग्राम हाविलिया डीएपी हो या यूरिया खाद सभी की हमेशा किल्लत ही रहती है। समितियों का तो कोई मतलब ही नहीं है। अभी भी कालाबाजारी में 14 से 15 सौ रुपये की बोरी खरीदनी पड़ी जब कही सरसों की बुवाई हो सकी है।

विशंभर राजपूत, ग्राम जरहौली


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