डकैतों की पनाहगाह रही चंबल घाटी बनेगी ईको टूरिज्म का हब
डकैतों की पनाहगाह रही चंबल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बनने जा रही है। इससे पर्यटक चंबल के सौदर्य को देख सकेंगे।
इटावा (जेएनएन)। डकैतों की पनाहगाह रही चंबल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बनने जा रही है। इसके लिए वन विभाग ने संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर से करार किया है। नौ नवंबर से पर्यटक यहां घडिय़ाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन व विदेशी पक्षियों के साथ बीहड़ का दीदार भी कर सकेंगे। इसके लिए चार मोटरबोट की व्यवस्था की जा रही है जो तीन स्थानों पर चलेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने का सपना इटावा जिले में साकार होने जा रहा है। शुरुआत दस्यु सरगना और डकैतों को पनाह देने वाली चंबल घाटी से हो रही है।
सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के प्रबंधक संजीव सिंह चौहान के मुताबिक पिछले कई वर्षों से यह योजना विचाराधीन थी। अब वन विभाग ने इसके लिए पहल की है। इसमें जलीय जीवों, विदेशी पक्षियों के साथ चंबल घाटी के मंदिर व पुराने ऐतिहासिक किलों को भी दिखाए जाने की योजना है। इसके लिए श्यामनगर में एक बुकिंग केंद्र खोल दिया गया है। चार मोटरबोट तैनात कर दी गई हैं। पर्यटकों को लाइफ जैकेट के साथ दूरबीन व नेचर गाइड भी उपलब्ध कराया जाएगा।आगरा के चंबल सैंक्च्युरी क्षेत्र के उप वन संरक्षक आनंद कुमार ने बताया कि वन विभाग और सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन के सहयोग से चंबल सैंक्च्युरी क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये योजना शुरू की जा रही है। इससे पर्यटक चंबल के सौदर्य को देख सकेंगे।
इन स्थानों का कर सकेंगे दीदार
चंबल सैंक्च्युरी में भ्रमण की शुरुआत सहसों व बरचौली से पांच किमी दायरे में होगी। यहां पर डॉल्फिन, मगरमच्छ, घडिय़ाल, कछुए व प्रवासी व अप्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र होंगे। दूसरे स्थान भरेह से पथर्रा आठ किमी का क्षेत्र होगा। यहां जलीय जीवों और पक्षियों के साथ भरेह किला एवं भारेश्वर महादेव मंदिर का दीदार भी कराया जाएगा। इसके अलावा भरेह से पचनदा पंद्रह किमी क्षेत्र तीसरे स्थान के रूप में चुना गया है। यहां महाकालेश्वर मंदिर भी इसमें शामिल हो जाएगा।
कभी डकैतों से जानी जाती थी चंबल घाटी
चंबल घाटी हमेशा ही दुर्दांत दस्यु गिरोहों की पनाहगाह रही है। ईको टूरिज्म की शुरुआत जहां से हो रही है वे स्थान कभी दस्यु सम्राट फूलन देवी, निर्भय गुर्जर, रज्जन गुर्जर, रामवीर गुर्जर व फक्कड़ गुरु के रहने का ठिकाना थे। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही यहां से डकैतों का सफाया कर दिया गया। अब इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।