प्रगति लाने को अपनाएं स्वच्छ भारत मिशन की सोच
जागरण संवाददाता, इटावा : सभी लोग अपने जीवन में जब तक साफ सफाई को संस्कार के रूप में नहीं
जागरण संवाददाता, इटावा : सभी लोग अपने जीवन में जब तक साफ सफाई को संस्कार के रूप में नहीं अपनाएंगे तब तक स्वच्छता का अभाव ही रहेगा। गंदगी के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां तेजी से पनप रही हैं। मौसम बदलते ही संक्रामक रोगों की भरमार से ज्यादातर परिवार इससे परेशान रहते हैं। ऐसी स्थिति में देश-प्रदेश का विकास प्रभावित होता है। देश को प्रगति के मार्ग पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की सोच को अपनाना होगा। उक्त उद्गार प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ग्राम्य विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (एमओएस) डॉ. महेन्द्र ¨सह ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को जागरूक करने के लिए स्टेडियम ग्राउंड में आयोजित एक भव्य कार्यशाला का उद्घाटन करने के उपरान्त संबोधन में प्रकट किए। इसके पश्चात 15 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को रिवा¨ल्वग फण्ड वितरण, 10 स्वयं सहायता समूहों को प्रतीक रूप में सामुदायिक निवेश स्वीकृत पत्र, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 25 लाभार्थियों को गैस कनेक्शन वितरण, 10 कृषकों को मृदा स्वास्थ्य हेल्थ कार्ड एवं स्वच्छ भारत ग्रामीण के स्वच्छता किट वितरण की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा जो वस्तुएं बनायी जा रहीं हैं उससे प्राप्त होने वाली धनराशि से उनके जीवन में खुशहाली आएगी। सरकार जल्द ही दूध की कंपनी शुरू करने जा रही है जिस पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को कार्य दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सोलर स्टडी लैंप का निर्माण करके अपनी आमदनी बढ़ाएं। कार्यशाला को जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने भी संबोधित किया। संचालन राष्ट्रीय कवि कमलेश शर्मा ने किया। इसमें सदर विधायक सरिता भदौरिया, भरथना विधायक सावित्री कठेरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष शिवमहेश दुबे, सीडीओ पीके श्रीवास्तव, उप निदेशक कृषि डॉ. एके ¨सह, आजीविका मिशन जिला प्रबंधक जितेंद्र यादव मौजूद रहे। उमस से महिलाएं हुई व्याकुल सरकार चाहे किसी की हो मंत्री-अधिकारी सुविधाजनक माहौल में ही रहते हैं। महिलाओं की कार्यशाला के लिए प्रशासन ने स्टेडियम में पंडाल लगवाकर सुबह दस बजे से ही महिलाओं को बैठा दिया। पंडाल में पंखे तक नहीं थे, इसी के साथ गला तर करने को पानी तक नहीं था। इससे खासतौर पर महिलाएं काफी बेचैन और व्याकुल हो रही थीं।