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नदियों का गुस्सा उतरा, मुश्किलें उफान पर

संवाद सहयोगी, चकरनगर (इटावा) : चंबल और यमुना नदी का जलस्तर घटने लगा है, लेकिन चंबल का पान

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 07:16 PM (IST)
नदियों का गुस्सा उतरा, मुश्किलें उफान पर
नदियों का गुस्सा उतरा, मुश्किलें उफान पर

संवाद सहयोगी, चकरनगर (इटावा) : चंबल और यमुना नदी का जलस्तर घटने लगा है, लेकिन चंबल का पानी गांव के पास स्थित खारों (पहाड़ों के बीच की खाई) भरने से दलदल हो गया है। इससे बीहड़ी क्षेत्र के एक दर्जन गांवों के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। खास तौर पर स्कूली बच्चे ज्यादा परेशानी में हैं क्योंकि या तो 10 किमी का चक्कर लगाएं या फिर इन दलदल भरे खारों से होकर गुजरें। कांयछी गांव में तीन किमी का कच्चा रास्ता परेशानी का सबब बना है, जबकि नदा गांव के रास्ते में चंबल नदी का पानी भरने से गांव वालों को 10 किमी का चक्कर काटना पड़ रहा है। निबी, हरौली, चकरपुरा आदि गांवों का भी बुरा हाल है।

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बारिश के कारण बांधों से छोड़े गए पानी की वजह से चंबल व यमुना का जलस्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा था, अब पानी कम होना शुरू हुआ है लेकिन आसपास के गांवों के कच्चे रास्तों में पानी अब भी भरा होने से परेशानी हो रही है। स्कूली बच्चे व महिलाएं इसी पानी से होकर स्कूल व घरों को पहुंच रहे हैं। कायंछी गांव के शिक्षक राजेश वर्मा बताते हैं कि बच्चों को घरों से स्कूल लाना व सुरक्षित घरों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ रही है। गांव की आशारानी देवी को गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीलम भदौरिया कहती हैं कि तीन किमी का कच्चा रास्ता पानी व कीचड़ से सना है। इसकी वजह से दो माह से केंद्र पर बच्चों को पुष्टाहार नहीं पहुंच पा रहा है। प्रतिदिन वे झोले में पुष्टाहार लेकर आती हैं और बच्चों को वितरित करती हैं। नदा गांव के रास्ते में चंबल नदी का पानी भरने से गांव वालों को दस किमी का चक्कर काटकर हनुमंतपुरा-फूफ मार्ग से आवागमन करना पड़ रहा है। सहसों बाबा सिद्ध मंदिर के रास्ते में जलभराव के चलते ग्रामीण परेशान हैं। खेतों पर जाने का इकलौता यही रास्ता था। दो दिन से बीमार साधु को ग्रामीणों ने चारपाई पर लेटाकर पानी भरे रास्ते से निकालकर नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर भिजवाया। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को समस्या बताई पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। गढ़ाकसदा के प्रधान हेमरुद्र ¨सह सेंगर कहते हैं कि नदियों का जलस्तर तो घट गया लेकिन एक दर्जन गांवों की परेशानी बढ़ गई है। उपजिलाधिकारी ब्रजपाल ¨सह का कहना है कि गांवों की दिक्कतें दूर कराई जाएंगी। मौके पर राजस्व विभाग की टीम भी भेजी जाएगी।

बीमार लोगों को ले जाते चारपाई पर

कायंछी गांव तीन तरफ से यमुना नदी से घिरा है। जलभराव और दलदल की समस्या की वजह से गांव के बुजुर्गों को बीमार होने पर चारपाई पर लेकर ले जाना पड़ता है। इसके लिए गांव के लोगों की आरजू मिन्नतें करनी पड़ती है तभी वह चारपाई लेकर साथ चलने को तैयार होते हैं।


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