घर को छोड़कर एंबुलेंस को अशोक ने बना लिया आशियाना
ओम प्रकाश बाथम इटावा कोरोना काल में उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई व जिला अस्पता
ओम प्रकाश बाथम, इटावा
कोरोना काल में उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई व जिला अस्पताल के संक्रमितों को उपचार दिया गया। इस दौरान कई जनपदों के 200 से अधिक संक्रमितों की जब मौत हो गई तो उनको गंतव्य तक पहुंचाना एक समस्या बन गया। स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस चालक अशोक पाल ने अपने फर्ज को निभाया और बिना किसी हिचक के कोरोना संक्रमितों की मौत के बाद उन्हें गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया। यही नहीं करीब डेढ़ माह तक उन्होंने अपने स्वजन से दूरी भी बना ली और एंबुलेंस को ही अपना आशियाना बना लिया।
शव वाहन एंबुलेंस चालक अशोक पाल पुत्र रामचरण पाल निवासी संतोषपुरा हाल निवास कांशीराम कॉलोनी ने बताया कि जैसे ही लॉकडाउन लगा और संक्रमित मरीजों की बाढ़ सी आ गई। सैफई मेडिकल कॉलेज में मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो शव को प्रोटोकाल के तहत पहुंचाना विभाग की जिम्मेदारी तय कर दी गई।
अशोक पाल ने बताया कि उसने तीन महीने तक अपने घर को त्याग दिया और स्वजन से दूरी बना ली। वह अपने सहयोगियों की मदद से एंबुलेंस में ही खाना खा लेता था और वहीं पर सो जाता था। ड्यूटी का बुलावा कब आ जाए यह उसे भी पता नहीं होता था। इसलिए 24 घंटे के अलर्ट मोड पर वह रहते थे।
वे बताते हैं कि इसके अतिरिक्त फीरोजाबाद आगरा, वाह, मथुरा, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, दिबियापुर में भी उसे शवों को लेकर जाना पड़ा। वे अपने फर्ज से पीछे नहीं हटना चाहते थे और बखूबी अपने फर्ज को निभाते रहे।
एटा शव लेकर जाते समय तीन बार हुआ बेहोश
अशोक पाल का कहना है कि जब वह एटा शव लेकर गए तो भीषण गर्मी के दौरान किट पहनना भारी समस्या था। वह रास्ते में तीन बार बेहोश हुए। इस दौरान दर्जन भर कोल्ड ड्रिक पीकर ही एटा पहुंच सका।