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डीएपी खाद पाने को दर-दर भटक रहे हैं अन्नदाता

जागरण संवाददाता इटावा खाद की किल्लत कहीं सोची-समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है इसका

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 06:14 PM (IST)
डीएपी खाद पाने को दर-दर भटक रहे हैं अन्नदाता

जागरण संवाददाता, इटावा : खाद की किल्लत कहीं सोची-समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है, इसका संशय इसलिए उत्पन्न हो रहा है कि बीते साल की तुलना में इस माह में करीब 10 मीट्रिक टन से अधिक डीएपी खाद की बिक्री सरकारी आंकड़ों में हो चुकी है। इसके बावजूद अन्नदाता डीएपी खाद पाने को दर-दर भटक रहा है। कालाबाजारी के तहत मध्य प्रदेश में खाद जाने की चर्चा जोरों पर हुई तो प्रशासन ने सीमाओं पर नाकाबंदी करा दी है फिर भी खाद किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। लघु सीमांत किसान परेशान होकर ऐसी बदतर व्यवस्था को लेकर शासन-प्रशासन को कोस रहे हैं।

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बीते साल अक्टूबर माह में एक लाख 40 हजार बैग या बोरी डीएपी खाद की बिक्री समूचे जनपद में हुई थी कहीं से किल्लत की आवाज नहीं आई थी। इस साल 25 अक्टूबर तक एक लाख 52 हजार डीएपी खाद के बैग की बिक्री हो चुकी है फिर भी चारों ओर किल्लत ही किल्लत की आवाज गूंज रही है। दूसरी ओर पहले शहर में भरथना चौराहा, नई मंडी सहित अन्य कई स्थानों पर किसान केंद्र होने से अधिकांश किसान मंडी में अपनी फसल बेचकर उपरोक्त केंद्रों से खाद-बीज ले जाते थे, अब अधिकांश केंद्र बंद होने से किसानों को भटकना पड़ रहा है। हालात इसकदर बदहाल हैं कि निजी दुकानें भी बंद करके कुछ डीलर अधिक मूल्य पर खाद बेच रहे है। इसका खुलासा कृषि उपनिदेशक ने किसान बनकर कई दुकानों की हकीकत जानकर किया था।

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सहकारी समिति पर किसानों की भीड़

शहर से तीन किमी की दूरी पर ग्राम दतावली पर स्थित सहकारी समिति पर इस समिति से जुड़े खाताधारक किसान ही नहीं अपितु अन्य क्षेत्र के किसानों की भी भीड़ नजर आई। सभी डीएपी खाद पाने को आतुर थे लेकिन हर किसी को खाद देना सचिव रघुनाथ सिंह के वश में नहीं था। उनका कहना है कि बीते साल की तुलना में खाद कम उपलब्ध हो रही है। इसलिए किसानों को सागारिका खाद का पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है जो डीएपी से अधिक क्षमतावान है। इस सीजन में अभी तक 1800 डीएपी बोरी का वितरण कर दिया है। अभी 1500 बोरी की ओर डिमांड की गई है। उपलब्धता के अनुरूप वितरण किया जा रहा है।

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एकदम बोआई शुरू होने से किल्लत

उप कृषि निदेशक अभिनंदन सिंह का कहना है कि बीते सप्ताह बारिश होने के बाद आलू, लहसुन, सरसों व अन्य जिसों की बोआई शुरू होने से खाद की किल्लत हो गई। कुछ निजी विक्रेता जानबूझकर गड़बड़ी कर रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। कई किसान गेहूं की बोवाई से पूर्व डीएपी एकत्रित करने में जुट गए हैं इससे यह हालात हैं। खाद प्रचुर मात्रा आ रही है जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे।

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खाद से खिन्न अन्नदाताओं का दर्द

किसान नरेश बाबू का कहना कि बसरेहर समिति पर डीएपी खाद न होने से दतावली आना पड़ा। सुबह से यहां खाद पाने के लिए परेशान हूं लेकिन खाद नहीं मिल रही है। इससे बोवाई लेट होने से काफी नुकसान होगा।

किसान अभय कुमार का कहना है कि जसवंतनगर क्षेत्र की समितियों पर खाद न मिलने पर निजी दुकानों पर गया तो वहां अधिक मूल्य की मांग की गई। जिससे समितियों के चक्कर लगा रहा हूं लेकिन खाद नहीं मिल पा रही है।

- किसान चरन सिंह का कहना है निजी दुकानों की खाद पर भरोसा नहीं है। समितियों पर भरपूर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। इससे बीते सप्ताह से इधर से उधर भटक रहा हूं लेकिन अभी तक खाद नहीं मिली।

- किसान सुरेंद्र सिंह का कहना कि चितभवन गांव में स्थित किसान केंद्र बीते एक साल से बंद है। इससे खाद-बीज के लिए अन्य केंद्रों तथा सहकारी समितियों पर भटकना पड़ रहा है। समितियों पर पहले खाताधारक को खाद दी जा रही है।


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