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दिन से इटावा जेल में जमा हो रहे थे डंडे, प्रशासन मौन

दिन से इटावा जेल में जमा हो रहे थे डंडे प्रशासन मौन

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 06:05 AM (IST)
दिन से इटावा जेल में जमा हो रहे थे डंडे, प्रशासन मौन
दिन से इटावा जेल में जमा हो रहे थे डंडे, प्रशासन मौन

जागरण संवाददाता, इटावा : जिला कारागार में बीते बुधवार की शाम को हुए बवाल को टाला जा सकता था लेकिन अफसरों ने इस ओर तवज्जो नहीं दी। बवाल से चार दिन पूर्व से ही जेल में स्थित पेड़ों से टहनियों को तोड़कर डंडे जमा किए जा रहे थे। पथराव करने को फुलवारी की क्यारियों में लगी ईंटों को उखाड़ा गया। दूसरी ओर लॉकडाउन व्यवस्था को प्रभावित करने के लिए जेल में बवाल किए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है। डीआइजी जेल वीपी त्रिपाठी ने अभी सभी सवालों का जबाव जांच के नाम पर देने में असमर्थता प्रकट की है लेकिन हालात बहुत कुछ स्वयं बयां कर रहे हैं।

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जेल के अंदरखाने से जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक प्रशासनिक आधार पर कुख्यात और झगड़ालु कैदियों और बंदियों को दाखिल किया जाता है। मोनू पहाड़ी कानपुर का कुख्यात अपराधी होने के साथ कानपुर जेल की व्यवस्थाएं प्रभावित करने पर चार साल पूर्व यहां भेजा गया था। इसी प्रकार मुरादाबाद चंदौसी का कुख्यात मुन्ना खालिद तीन साल पूर्व आगरा जेल से यहां भेजा गया। इन दोनों ने जेल के अंदर ही प्रतापगढ़ के शिवामणी, कानपुर के शिवा, ताजुद्दीन, रामकुमार सहित अन्य कई कुख्यातों के साथ गुट बना लिए। जेल प्रशासन ने अधिकतर व्यवस्थाएं बंदियों और कैदियों में से बनाए जाने वाले लंबरदारों और रायटरों के हवाले कर दी। इससे जेल में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई। चार दिन पूर्व ही मोनू पहाड़ी का एक लंबरदार से झगड़ा हुआ लेकिन जेल प्रशासन ने इसकी अनदेखी कर दी। इस दौरान कुख्यातों का गुट पेड़ों से डंडे जमा करने लगा, क्यारियों की ईंटों से पत्थर बनाकर रख लिए। बीते शाम बैरिक नंबर दो और आठ में रहने वाले इन कुख्यातों ने आपस में लड़ने का ड्रामा किया इसके पश्चात डिप्टी जेलर जगदीश प्रसाद चार लंबरदारों के साथ मौके पर पहुंचे तो दोनों बैरकों के करीब तीन दर्जन बंदियों और कैदियों ने हमला कर दिया, डिप्टी जेलर को उन्हीं का डंडा छीनकर दुर्दशा की। जेल की कैंटीन पर सवाल

जेल में बंदियों-कैदियों की सुविधा के लिए कैंटीन के माध्यम से कुछ चिन्हित उपयोग की वस्तुओं को बेचा जाना चाहिए। इस कैंटीन के माध्यम से बाजार कई गुना अधिक दर पर खान-पान की वस्तुएं बेची जाती है। कुछ बंदीरक्षक मोबाइल फोन से बंदियों की बात भी कराते है। इसको लेकर जेल में तनातनी का माहौल रहता है। चार घंटे बाद शव पहुंचा अस्पताल

जेल प्रशासन मोनू पहाड़ी का शव घटना के चार घंटे के बाद जिला अस्पताल लेकर पहुंचा जबकि घायल लंबरदार छुन्ना घटना के आधा घंटा बाद ही जिला अस्पताल पहुंच गया था। शव की टाइमिग को लेकर पहाड़ी के बहनोई जीशान ने प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया है। लॉकडाउन प्रभावित करने की आशंका

बताया गया है कि मुन्ना खालिद और मोनू पहाड़ी के लखनऊ और दिल्ली तक अपने आकाओं से तार जुड़े हुए थे। लॉकडाउन प्रभावित करने के लिए सुनियोजित तरीके से बवाल कराए जाने की आशंका प्रकट की गई। बवाल के बाद काफी संख्या में पुलिस-पीएसी बल जेल में तैनात किया गया है। अभी वर्चस्व का झगड़ा

डीआइजी जेल वीपी त्रिपाठी का कहना है कि जेल में बंदियों से जानकारी लेने से शुरूआती दौर में बंदियों में वर्चस्व का झगड़ा होना प्रतीत हो रहा है। जेल कार्मिक झगड़ा रोकने गए तो उन पर हमला कर दिया। दोनों ओर से एक-एक दर्जन लोग घायल हुए हैं। इस मामले में अन्य बिदुओं पर भी गहनता से जांच की जा रही है।


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