काम और क्रोध से होता व्यक्ति का पतन
चिलासनी स्थित शिव मंदिर पर आयोजित हुआ सत्संग
जासं, एटा: चिलासनी स्थित शिव मंदिर पर आयोजित हुए सत्संग में आचार्य दासानुदास महाराज ने कहा कि क्रोध के वशीभूत होकर मनुष्य दूसरों के साथ खुद का भी नुकसान कर लेता है।
भारतीय जन सेवा एवं संस्कार समिति द्वारा आयोजित सत्संग में बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रेम, दया, करूणा ही मानव को नम्र बनाकर मानवता की ओर ले जाती है। जब मानव प्रेम, दया, करुणा जैसे दिव्य गुणों को धारण करके समाज एवं संसार में विचरण करता है तो उसका तरक्की का मार्ग खुल जाता है। ब्रह्म ज्ञान के बिना प्रेम प्रकट नहीं किया जा सकता। ब्रह्म ज्ञान ही एक ऐसा ज्ञान है, जो मानव को सम²ष्टि प्रदान करके सभी जीवधारियों के प्रति सम्मान करना सिखाता है। नारी के सम्मान से परिवार में शांति और वैभव की स्थिति बनती है, इसलिए सभी को अहंकार का परित्याग करना चाहिए।
राधेश्याम, अशोक, देवेंद्र ,हरदयाल, छत्तरलाल, निर्मल, ऐवरन सिंह, रामवीर, दीपक, रघुवीर, महेंद्रपाल, रामगोपाल , हरवीर, खूब सिंह, गजेंद्र, अनिल कुमार, श्वेता, सपना, नीलम, आरती, अनुपम, सुनेना समेत तमाम श्रद्धालु उपस्थित थे। देख सुदामा की दीन दशा, करुणा कर करुणानिधि रोए
जासं, एटा: शहर के शांतीनगर में चल रही भागवत कथा में व्यास श्याम सुंदर दीक्षित ने बताया कि जो भी व्यक्ति ईश्वर को अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है। ईश्वर भी उसके लिए अपना हाथ बढ़ा देते है।
सुदामा के चरित्र के माध्यम से उन्होंने भक्ति की शक्ति को समझाया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से अपने बाल सखा कृष्ण को अपने आराध्य के रूप में पूजते हुए भक्त शिरोमणि सुदामा ने उन्हें अपना सब कुछ अर्पण कर दिया तो भला भक्त वत्सल भगवान कृष्ण भी कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने तीन मुठ्ठी तंदुल के बदले तीनों लोकों का साम्राज्य उन्हें भेंट कर दिया। उन्होंने नरोत्तम दास की रचना शीश पगा न झगा तन को प्रस्तुत करते सभी श्रद्धालुओं के सामने सुदामा का चरित्र चित्रण किया। कथा में आचार्य गिरीश चंद्र पचौरी, आचार्य गिरिजेश पचौरी, अंगूरी देवी ओमप्रकाश मिश्रा, विनय मिश्रा, विजय मिश्रा, शिवांक मिश्रा, प्रियांशी मिश्रा, अनुराग मिश्रा आदि मौजूद थे।