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मजबूत इरादों से काट रहीं गरीबी की जंजीरें

आर्थिक तंगी से घिरी मीरा (45) मजबूत इरादों से गरीबी और लाचारी की जंजीरें काट रही हैं। न तो वह शिक्षित हैं और न ही कोई हुनर। इसके बाद भी पति की मौत के बाद परिवार को भुखमरी के भंवर से निकाल नई दिशा प्रदान कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 09:38 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 09:38 PM (IST)
मजबूत इरादों से काट रहीं गरीबी की जंजीरें
मजबूत इरादों से काट रहीं गरीबी की जंजीरें

जासं, एटा: आर्थिक तंगी से घिरी मीरा (45) मजबूत इरादों से गरीबी और लाचारी की जंजीरें काट रही हैं। न तो वह शिक्षित हैं और न ही कोई हुनर। इसके बाद भी पति की मौत के बाद परिवार को भुखमरी के भंवर से निकाल नई दिशा प्रदान कर रही हैं।

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कटरा मुहल्ला में एक किराए के घर में मीरा रहती हैं। निजी वाहन पर ड्राइविंग करने वाले पति ब्रह्मानंद की आठ वर्ष पहले बीमारी से मौत हो गई। आठ पुत्रियों और दो पुत्रों की जिम्मेदारी सिर पर थी। आर्थिक तंगी से सभी बच्चों की पढ़ाई छूट गई। जल्द ही उन्हें लगने लगा कि कुछ नहीं करेगी तो परिवार की भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। छोटी सी परचून की दुकान खोली। साथ ही शादी-पार्टी में गोलगप्पे बु¨कग का काम कर लिया। दो वर्ष पहले डूडा के दफ्तर में सरकारी आवास के बारे में पता करने गईं। वहां भूतेश्वर स्थित इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम (आइएचएसडीपी) योजना के आवास की मदद के साथ ही समूह गठित करने की राय भी मिली। इस पर उन्होंने एक दर्जन महिलाओं को जोड़ मुरलीधर स्वयं सहायता समूह गठित कर लिया। कुछ महीने पहले बैंक से ऋण लेकर मसाला चक्की लगा ली। वर्तमान में योजना के तहत मिले घर में रह रही हैं। वहीं कालोनी की कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं। अब मीरा पै¨कग ब्रांड पंजीकृत कराने की तैयारी में हैं। 10 और 11 वर्ष की दो छोटी बच्चियों का स्कूल में दाखिल करा दिया है।


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