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पानी रे पानी: कम हो रहा पानी, बढ़ रही परेशानी

एटा: जरूरत और मांग बढ़ती जा रही है, जबकि पानी की उपलब्धता में कमी आरही है। अभी गर्मी शुरू ही हुई हैं कि कई ब्लाकों में पेयजल स्तर काफी नीचे चला गया है। जलेसर ब्लाक तो डार्क जोन में चला गया है। जिला प्रशासन और नगरपालिका द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर जनता परेशान है। अगर जल स्त्रोत नए नहीं तलाशे गए तो भावीं पीढ़ी की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 06:23 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 06:23 PM (IST)
पानी रे पानी: कम हो रहा पानी, बढ़ रही परेशानी

जागरण संवाददाता, एटा: जरूरत और मांग बढ़ती जा रही है, जबकि पानी की उपलब्धता में कमी आ रही है। यह स्थिति आने वाले समय को लेकर तो खतरे की घंटी है ही, वर्तमान में भी परेशानी बन रही है। जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, पानी के इंतजामों में वृद्धि नहीं हो पा रही। साल दर साल घटता भूजल स्तर ¨चता बढ़ा रहा है।

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गर्मी की दस्तक होते ही जल संकट सिर उठाने लगा है। बीते वर्ष बरसात अच्छी नहीं रही। इसका असर नजर आ रहा है। अभी से बो¨रग फेल होने का सिलसिला शुरू हो गया है। हैंडपंप, जैट पंप, सबमर्सिबल पानी छोड़ने लगे हैं। शहरी क्षेत्र में तो भूजल स्तर 100 फीट से भी नीचे पहुंच गया है। कई ग्रामीण इलाकों के हालात भी खराब हैं। खारे पानी से जूझ रहे जलेसर क्षेत्र के तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। यहां लोग मीठे पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं। निधौली कलां, सकीट, शीतलपुर और अवागढ़ ब्लॉक क्षेत्र के भी कई गांव खारे पानी की समस्या से पीड़ित हैं। सरकारी इंतजाम बढ़ती आबादी के मुकाबले पानी मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रहे हैं। दस वर्ष के अंतराल में जिले की आबादी दो लाख से अधिक बढ़ गई। इस दरम्यान स्थापित की गई पेयजल परियोजनाओं में से आधी खराब हालत में हैं। हैंडपंप भी लगभग आधे खराब हैं। लोग पानी के लिए खुद के इंतजाम कर रहे हैं। आर्थिक तंगी वाले परिवार दूर-दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं।

शहर के हालात

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गर्मी सिर पर है जबकि शहर की जलापूर्ति व्यवस्था लड़खड़ाई हुई नजर आ रही है। शहर को आबादी के मुताबिक 71 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) पानी की जरूरत है। गर्मियों में यह जरूरत बढ़कर 100 एमएलडी तक पहुंच जाती है। लेकिन कहीं नलकूप खराब हैं तो कहीं आपूर्ति के लिए पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में पालिका आपूर्ति देने में नाकाम साबित हो रही है। उपलब्ध संसाधनों के जरिए 56 एमएलडी सप्लाई ही हो पा रही है। ऐसे में शहर के तमाम मुहल्लों में पानी नहीं पहुंच रहा। लोगों को अपने इंतजामों से या ढोकर पानी जुटाना पड़ रहा है। एटा नगर पालिका के पास शहर में कुल 37 नलकूप हैं। जिनमें से आधे भी संचालित नहीं हो रहे। आठ नलकूप स्थायी रूप से खराब हैं। जिन्हें रिबोर कराने की जरूरत है। जो पालिका के वश में नहीं है। वहीं 12 नलकूप पाइप लाइन की गड़बड़ी या अन्य कमियों के चलते ठप पड़े हैं। ऐसे में कुल 17 नलकूपों से शहर में पानी की आपूर्ति की जा रही है। अमृत (अटल नवीनीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन) के तहत क्षतिग्रस्त पाइप लाइन और खराब नलकूपों को सही करा हर घर तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन इसमें चल रही लेटलतीफी से इन गर्मियों में कुछ हो पाने की संभावना नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों का हाल

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जलेसर, निधौली कलां, सकीट, अवागढ़ और शीतलपुर के कई ग्रामीण इलाकों में खारे पानी की समस्या है। वहीं, कई इलाकों में वाटर लेबल नीचे जाने से हैंडपंप नाकाम हो चुके हैं। ऐसे इलाकों में पानी पहुंचाने के लिए ग्रामीण पेयजल परियोजनाएं स्थापित कराए जाने का प्रावधान है। जिले में 57 परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। लेकिन इनमें सेखामियों के चलते 25 ठप पड़ी हैं। जिनसे संबंधित गांव के लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है।

डार्क जोन में है जलेसर

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भूजल की अत्यंत कमी के चलते जलेसर विकासखंड क्षेत्र डार्क जोन में चल रहा है। जबकि निधौली कलां और सकीट क्षेत्र क्रिटिकल जोन में रखे गए हैं।

सूखी नदियां, घिर गए तालाब

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तालाब और नदियों का खास महत्व है। इससे जहां भूजल स्तर को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है। वहीं ये ¨सचाई व अन्य कई कार्यों के लिए भी सहायक होते हैं। लेकिन जिले में पानी के इन दोनों स्त्रोतों पर मार पड़ी है। ईसन नदी लगभग पूरी तरह सूख चुकी है। वहीं काली नदी का पानी बुरी तरह दूषित है। जिले के 1200 से अधिक तालाबों में सैकड़ों तालाबों पर कब्जे हैं। कई तो पट चुके हैं और उन पर मकान आदि बन गए। तो कई पर खेती हो रही है। जो बचे भी हैं, उनमें पानी केवल वर्षा ऋतु में ही मिलता है। नदी-तालाब सूखे होने की वजह से पानी के सभी कार्यों के लिए भूजल का ही दोहन किया जा रहा है। यह स्थिति भविष्य के लिए काफी खतरनाक है।

पांच साल का ब्लॉकवार भूजल स्तर (मीटर में)

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ब्लॉक 2013 2014 2015 2016 2017

जलेसर 11.80 12.10 12.68 15.55 14.67

शीतलपुर 11.60 10.27 11.07 12.57 13.89

सकीट 6.29 5.92 6.03 7.02 8.17

निधौली कलां 9.83 9.83 10.67 11.07 11.54

मारहरा 11.50 10.98 12.13 12.17 12.90

जैथरा 6.90 7.45 7.73 8.85 9.45

अवागढ़ 11.50 9.80 10.13 12.66 13.7

अलीगंज 10.30 10.35 11.13 11.97 13.12

15 हैंडपंप के सहारे ढाई हजार लोग

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मारहरा: क्षेत्र का गांव पिदौरा अरसे से पेयजल समस्या से जूझ रहा है। यहां अधिकांश आबादी मजदूर और छोटे किसानों की है। जिनके आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वे अपने निजी हैंडपंप लगवा सकें। ऐसी हालत में उन्हें सरकारी हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन गांव की सरकार है कि उनकी समस्या समझती ही नहीं।

लोगों तक उचित मात्रा में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए गांव में 25 हैंडपंप लगाए गए हैं। लेकिन लंबे समय से 10 हैंडपंप खराब हैं। कई गलियां हैं, जहां हैंडपंप सूखे पड़े हैं। उनका हत्था-चैन आदि सामान गायब हो चुका है। जिन गलियों में लगे हैंडपंप खराब हैं, उससे संबंधित परिवारों के सामने पानी की खासी समस्या है। उन्हें लंबी दूरी तरह कर दूसरे इलाकों के हैंडपंपों से पानी भरने के बाद ढोकर लाना होता है। सुबह होने के साथ ही इन परिवारों की दिनचर्या पानी भरने के साथ ही शुरू हो जाती है। अधिकांश घरों की महिलाएं हैंडपंपों पर पानी भरते और भरने के बाद बाल्टी-डिब्बे उठाए घरों की ओर जाती नजर आ जाती हैं। स्थिति यह है कि बच्चों को भी इस काम में लगना पड़ता है, भले ही वे स्कूल लेट पहुंचें या छुट्टी ही क्यों न करनी पड़े। गांव के लोग कई बार पुराने हैंडपंपों को सही कराने और नए हैंडपंपों की स्थापना कराने की मांग कर चुके हैं। लेकिन सुनवाई करने को कोई तैयार नहीं। ग्राम प्रधान केसर देवी ने बताया कि खराब हैंडपंपों की सूचना बीडीओ कार्यालय को दे दी गई है। जो निर्देश दिए जाएंगे, उसके अनुरूप काम कराया जाएगा।


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