उन्नाव कांड में दरिदों को सजा-ए-मौत ही न्याय
उन्नाव कांड की पीड़िता की मौत के बाद सामाजिक और महिला संगठनों
जागरण संवाददाता, एटा: उन्नाव कांड की पीड़िता की मौत के बाद सामाजिक और महिला संगठनों में दुख के साथ आक्रोश है। हर ओर से एक ही आवाज उठ रही है कि वारदात को अंजाम देने वाले दरिदों को सजा-ए-मौत दी जाए। महिलाओं का कहना है कि न्यायिक प्रक्रिया के तहत जल्द से जल्द आरोपितों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि फिर कोई भी व्यक्ति अपराध करने की हिम्मत न जुटा सके। तभी पीड़िता के स्वजनों और समाज को न्याय मिल सकता है। इसके लिए कुछ लोग हैदराबाद जैसे इन्साफ की भी मांग उठा रहे हैं। यह तर्क देने वालों का कहना है कि कानून और दंड का भय ही किसी को अपराध करने से रोकता है। ढुलमुल व्यवस्था के चलते भय खत्म हो गया है।
बोली नारी शक्ति
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बार-बार इस तरह की घटनाएं सुनकर दिल घबरा जाता है। हमारी बहू-बेटियां कहीं सुरक्षित नहीं हैं। समाज में ऐसा पतन क्यों हो रहा है? इसमें सुधार के प्रयास करने होंगे।
- श्यामलता वेद, समाजसेविका
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ऐसी घटनाएं साबित करती हैं कि पुलिस और न्याय व्यवस्था में कहीं न कहीं खामी है। दंड इतना कड़ा करना होना चाहिए कि अपराध करने वालों में दहशत हो।
- दीपिका वाष्र्णेय, शिक्षिका
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उन्नाव का घटनाक्रम बेहद दुख भरा तो है ही, साथ ही यह आक्रोश भी पैदा करता है। ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोगों के साथ कोई रियायत नहीं होनी चाहिए।
- रूपल जैन, स्नातक छात्रा
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जब तक न्याय मिलने में लेट-लतीफी होगी, अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हो सकते। त्वरित न्याय और दंड ही ऐसे अपराधों को रोकने में सहायक बन सकता है।
- दीप्ति गुप्ता, शिक्षिका