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तेज बुखार से युवती की मौत

एटा: जिला अस्पताल में एक युवती की मौत तेज बुखार से हो गई। शहर के एक निजी अस्पताल में भी उसका इलाज कराया गया। लेकिन वहां हालत खराब होने पर जिला अस्पताल लेकर आये, जहां उसकी मौत हो गयी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 06:06 PM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 06:06 PM (IST)
तेज बुखार से युवती की मौत
तेज बुखार से युवती की मौत

जागरण संवाददाता, एटा: जिला अस्पताल में एक युवती की मौत तेज बुखार से हो गई। शहर के एक निजी नर्सिंग होम में उसका इलाज चल रहा था। जहां हालत नियंत्रण से बाहर देख डॉक्टर ने सोमवार को उसे जिला अस्पताल भेज दिया था।

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बागवाला क्षेत्र के गांव नगला लक्ष्मी निवासी अजीमुद्दीन की 18 वर्षीय पुत्री शेरबानो की तबियत हफ्ते भर पहले खराब हुई। शुरू में वे उसे आसपास के डॉक्टरों को दिखाकर उपचार कराते रहे। लेकिन तबियत और ज्यादा बिगड़ने तथा बुखार बहुत तेज होने की स्थिति में तीन दिन पहले शहर के एक निर्जी नर्सिंग होम में लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने शेरबानो को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया। तीन दिन इलाज चलने के बावजूद उसे यहां कोई फायदा नहीं मिला। सोमवार दोपहर 12 बजे अचानक से उसकी हालत और बिगड़ गई। डॉक्टर ने ऑक्सीजन की व्यवस्था न होने की बात कहते हुए जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जिस पर परिजन शेरबानो को लेकर जिला अस्पताल आए। यहां उसे इमजरेंसी वार्ड में भर्ती कर ऑक्सीजन लगा दी गई और इलाज शुरू किया गया। लेकिन घंटे भर के अंदर ही उसकी मौत हो गई। जिसके बाद गमगीन परिजन उसके शव को लेकर चले गए।

इमरर्जेसी में ड्यूटी पर तैनात डॉ. बी. सागर ने बताया कि लड़की को जब लाया गया, तो उसकी सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी। गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे ऑक्सीजन लगाकर इलाज शुरू कर दिया गया था। सांस की समस्या की वजह जानने की कोशिश कर अगले उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाती, इससे पहले उसकी मौत हो गई। नर्सिंग होम से उसे काफी गंभीर हालत में भेजा गया था। अस्पताल में मरीजों की भीड़

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चिलचिलाती धूप में भीषण गर्मी और कभी आंधी-बारिश के बीच ठंडे मौसम का दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। अनिश्चितता भरे इस मौसम में लोग खांसी-बुखार, पेट रोग आदि के शिकार हो रहे हैं। अस्पताल की ओपीडी में सोमवार को मरीजों की भीड़ लगी रही। उर्स जलेसर का शासकीय अवकाश होने के कारण अस्पताल 12 बजे तक खोला गया। 11.30 बजे तक 900 मरीजों के रजिस्ट्रेशन हुए। जबकि रजिस्ट्रेशन बंद होने और समय समाप्त होने पर तमाम मरीजों को बिना उपचार के वापस लौटना पड़ा।


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