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108 एंबुलेंस से जीपीएस निकाल डीजल चोरी का कारनामा भी है दर्ज

डेढ़ दर्जन कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Aug 2022 03:58 AM (IST)Updated: Thu, 04 Aug 2022 03:58 AM (IST)
108 एंबुलेंस से जीपीएस निकाल डीजल चोरी का कारनामा भी है दर्ज
108 एंबुलेंस से जीपीएस निकाल डीजल चोरी का कारनामा भी है दर्ज

108 एंबुलेंस से जीपीएस निकाल डीजल चोरी का कारनामा भी है दर्ज

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जासं, एटा: आक्सीजन की कमी से हुई बच्ची की मौत के मामले में फंसी 108 एंबुलेंस लापरवाही और मनमानी का पहला उदाहरण नहीं है, जबकि यह एंबुलेंस सेवा बार-बार सवालों के घेरे में आती रही है। चार साल पूर्व भी इस सेवा पर सवाल उठे थे। जब एंबुलेंस संचालन कंपनी जीवीके कर्मचारियों ने एंबुलेंस से जीपीएस सिस्टम निकालकर बाइक पर घुमाया और डीजल चोरी तथा फेरे बढ़ाने का कारनामा कर दिखाया था। तब भी डेढ़ दर्जन कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी। रेस्पोंस टाइम से देरी से पहुंचने की शिकायतें तो आम बात हैं। यह शिकायतें रोज होती हैं, जिन पर कंपनी के अधिकारी भी ध्यान नहीं देते। इसके अलावा कभी आक्सीजन खत्म होना तो कभी अन्य उपकरणों का काम न करने की शिकायतें भी होती रहती हैं। सबसे पहले बड़ी शिकायत वर्ष 2018 में कंपनी के मातहतों द्वारा एंबुलेंस में से जीपीएस सिस्टम निकालकर उसे टारगेट तक बाइक पर ले जाने और फिर जिला अस्पताल में आकर फर्जी एंट्री कराने के रूप में हुई थी। जागरण ने इस मामले की तह में जाकर पूरे खेल का पर्दाफाश किया था। उस समय एंबुलेंस पर तैनात एक ईएमटी धर्मेंद्र ने इस मामले की शिकायत तत्कालीन एसीएमओ से की थी। उस समय मलावन थाने में खड़ी 108 एंबुलेंस (यूपी-41जी-1107) के संचालन में घपले की जानकारी दी। इस पर एसीएमओ ने पीसीआर (पब्लिक केयर रजिस्टर) चेक किया। इसमें 13 मरीजा लाना दर्शाया, मगर अस्पताल में चार ही पहुंचे। इस पर अभिलेख जब्त कर जांच शुरू की गई तो पता चला कि गाड़ियों से जीपीएस सिस्टम निकालकर कर्मचारी बाइक पर घुमाते हैं। ताकि कंपनी को जीपीएस लोकेशन रनिंग में दिखाई दे। फर्जी टारगेट तय कर मरीजों को लाना दिखाया जाता था। इससे दो लाभ होते थे। कर्मचारी डीजल चोरी कर लेते थे और कंपनी को फेरे बढ़ने का फायदा होता रहा और बिलिंग भी अच्छी हुई। 2018 में ही सकीट ब्लाक में चलने वाली 102 नंबर एंबुलेंस (यूपी-41जी-6468) 27 मरीज अस्पताल ले गई, लेकिन चार मरीज ही अस्पताल में पहुंचे। इसकी शिकायत तभी एंबुलेंसकर्मी धर्मेंद्र ने की थी। जब मामले का पर्दाफाश हुआ तो खलबली मची और डेढ़ दर्जन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। कंपनी के कई अधिकारी हटा दिए गए। अब आक्सीजन की कमी से बच्ची की मौत का मामला सामने आया है तो खलबली मची है। एंबुलेंस स्टाफ के अलावा कंपनी के अधिकारियों तक भी जांच की आंच पहुंच रही है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि एंबुलेंस मामले में जो शिकायतें मिली हैं, उनकी जांच की जा रही है। दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।


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