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कहानी गांव की: व्यक्तिगत नहीं, केवल देश की बात - फोटो

शीतलपुर ब्लॉक क्षेत्र का गांव कुसाढ़ी अपने आप में खास है। जहां अन्य गांवों के लोग अपनी समस्याएं गिनाते मिल जाते हैं। वहीं कुसाढ़ी में लोग अपनी जरूरत और गांव की समस्या की बात ही नहीं करते। लोगों को योजनाओं का लाभ मिला न मिला इससे मतलब नहीं। एक ही बात जुबां पर है कि सरकार ऐसी हो जो देशहित में काम करे। देश आगे बढ़ेगा तो विकास तो गांव-गांव हो ही जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 11:31 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:10 AM (IST)
कहानी गांव की: व्यक्तिगत नहीं, केवल देश की बात - फोटो
कहानी गांव की: व्यक्तिगत नहीं, केवल देश की बात - फोटो

एटा, जासं। शीतलपुर ब्लॉक क्षेत्र का गांव कुसाढ़ी अपने आप में खास है। जहां अन्य गांवों के लोग अपनी समस्याएं गिनाते मिल जाते हैं। वहीं, कुसाढ़ी में लोग अपनी जरूरत और गांव की समस्या की बात ही नहीं करते। लोगों को योजनाओं का लाभ मिला न मिला, इससे मतलब नहीं। एक ही बात जुबां पर है कि सरकार ऐसी हो जो देशहित में काम करे। देश आगे बढ़ेगा तो विकास तो गांव-गांव हो ही जाएगा।

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शीतलपुर ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुसाढ़ी में दो ही मजरे हैं। कुसाढ़ी और नरहरा। आबादी 10 हजार से ऊपर है और मतदाता 1300। जमीनी हालातों का जायजा लेने जागरण की टीम दोपहर के समय लोधी बाहुल्य गांव कुसाढ़ी पहुंची। अलीगंज रोड से करीब 600 मीटर लंबा लिंक मार्ग कई जगह से जर्जर है। गांव में पशुओं के एक घेर में चारपाइयां डालकर कुछ लोग चुनावी माहौल पर ही चर्चा करते दिख गए। इनमें कुछ युवा थे तो कुछ अनुभवी। गांव में हुए काम और सरकारी योजनाओं के बारे में पूछने पर सबसे पहले किताब सिंह बोले, पुराने जमाने तै अब हालात बहुत बदले हैं। होय भी चौं न, देश आगे बढ़ैगो तो गांव तो आपही तरक्की करवे लगिगे। हमैं तो न आवास मिलो और न 103 साल की अम्मा को पेंशन। लेकिन जे कोई सरकार से शिकायत करवे की बात तो हैं नाय। वहां बैठे और लोग भी इस बात पर हामी भरते हैं। बीएससी में पढ़ रहे नवनीत से पूछा कि युवाओं को नौकरी तो मिल नहीं रहीं, फिर क्यों हां में हां कर रहे हो? बोलते हैं कि हुनर और काबिलियत होगी तभी तो रोजगार मिलेगा। एक और युवा पुनीत बोलते हैं कि 2009 में दो लाख रुपया कर्जमाफ हुआ था। लेकिन वह केवल व्यक्तिगत लाभ था। हमें इससे आगे बढ़कर देशहित के बारे में सोचना होगा। तभी किताब सिंह फिर बीच में बोल पड़े, हम तौ कहते हैं कि जे बार-बार फसल की कीमत बढ़ावोऊ सही नाय है। खेती करने वारे कम हैं और खरीदवे वाए जादा। गरीब लोग महंगो अन्न कैसे खरीद पांगे? रामसनेही बोले, हम कोई जाई सरकार केई पक्ष में नाय हैं, लेकिन दूसरी सरकार में मजबूती तो दिखै। मौजूद लोगों से गांव की जरूरत के बारे में पूछा तो लोग माथे पर बल डालकर ऐसे सोचने लगे, मानो कोई बहुत बड़ी बात पूछ ली। काफी देर सोच-समझकर सुम्मेद सिंह बोले कि एक पानी की टंकी बन जाए और कच्ची गलियां पक्की हो जाएं, बस।


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