रमजान में फर्ज के बराबर मिलता है इबादत का सवाब
रमजान का महीना बेहद पाक और रहमतों वाला होता है। एक नेकी का सवाब सत्तर गुना बढ़ा दिया जाता है। इबादत का सवाब फर्ज के बराबर मिलता है। रमजान में शैतानों को अल्लाह कैद कर देता है ताकि लोग आसानी के साथ रोजा रख सकें। तरावीह अदा कर सके और कुरान पाक की तिलावत जिक्र आदि इबादत के काम अंजाम दे सकें। रविवार को ऐसी ही तकरीरें इबादतगाहों में मौलानाओं ने दी।
एटा, जासं। रमजान का महीना बेहद पाक और रहमतों वाला होता है। एक नेकी का सवाब सत्तर गुना बढ़ा दिया जाता है। इबादत का सवाब फर्ज के बराबर मिलता है। रमजान में शैतानों को अल्लाह कैद कर देता है ताकि लोग आसानी के साथ रोजा रख सकें। तरावीह अदा कर सके, और कुरान पाक की तिलावत, जिक्र आदि इबादत के काम अंजाम दे सकें। रविवार को ऐसी ही तकरीरें इबादतगाहों में मौलानाओं ने दी।
मौलाना नूर आलम ने तकरीर में कहा कि रोजा केवल खाने पीने की मनाही से पूरा नहीं होता। रोजा जुबान का भी होता है ताकि आप झूठ न बोलें, गीबत न करें। रोजा कान का भी होता है ताकि आप कुछ बुरा न सुनें। रोजा आंखों का भी होता है ताकि आप कुछ बुरा न देखें। उलमा रोजा मकरू और टूटने के बारे में भी बताया। कहा कि खाने पीने या उल्टी होने से रोजा टूट जाता है। ब्रश करने से रोजा मकरू हो जाता है। मौलाना कहते हैं कि रोजे को लेकर अल्लाह ने फरमाया है कि रोजा मेरे लिए है। उसका बदला मैं हूं। माहे रमजान में अल्लाह अपने बंदों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रहमतों की बारिश होती है इस महीने में। उन्होंने कहा कि रोजा हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है। रोजा कजा न होने दें। रोजेदार बोले
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- रमजान में रोजा अहम इबादत है। रमजान अल्लाह तआला का महीना है। अल्लाह कहता है कि रोजेदार को उसके रोजे का बदला हम स्वयं देंगें।
फरमान
- रमजान में पांचों वक्त की नमाज के अलावा इशां की नमाज के बाद रात्रि में बीस रकात तरावीह में कुरान का पूरे माह सुनना जरूरी है।
अनस अहमद
- रमजान में कुरान की तिलावत भी अहम इबादत है। वहीं रोजा इफ्तार करवाने में भी बड़ा सवाब है। लोग इफ्तार पार्टियां भी आयोजित करते हैं।
शोहेब
- रमजान के पाक महीने में कुरान पाक नाजिल हुआ। इसीलिए यह सबसे अफजल माह है। रमजान का इस्तकबाल मेहमान की तरह करें।
शाहरुख