आराम में अफसर आला, गरीबों की सुविधा पर ताला
मरीजों के तीमारदारों के लिए रात गुजारने को बनाए गए रैन बसेरा पर चार साल से ताला लटका हुआ है। इसका ढांचा तो बनकर तैयार खड़ा है। लेकिन कार्यदायी संस्था को चार लाख रुपये का भुगतान न होने के कारण इसे हैंडओवर नहीं किया गया है। अब सर्दियों का मौसम आने वाला है ऐसे में तीमारदारों के लिए कोई ठिकाना न होने पर उन्हें फिर परेशानी उठानी पड़ेगी।
एटा, जागरण संवाददाता: रात कुछ आराम से गुजर जाए, इसके लिए जिला अस्पताल में तैयार रोगी आश्रय स्थल पर चार साल से ताला लटक रहा है। चार लाख रुपये का भुगतान लटकने से कार्यदायी संस्था ने इसे हैंडओवर नहीं किया है। इस अनदेखी के चलते तीमारदारों को सर्दियों में फिर मुश्किल होगी।
वर्ष 2015-16 में रोगी आश्रय स्थल मंजूर हुआ। इसमें पुरुषों के ठहरने की व्यवस्था ऊपरी परिसर में और महिलाओं के लिए नीचे की जानी थी। करीब 16 लाख रुपये की लागत से प्राइवेट वार्ड के सामने दो मंजिला ढांचा वर्ष 2016 में तैयार हो गया। फर्श, पेंट, लाइटिग आदि फिनिशिग के लिए तय चार लाख रुपये की जरूरत थी। शासन ने मार्च 2017 में आखिरी किश्त की धनराशि भेजी। यह कार्यदायी संस्था समाज कल्याण निर्माण निगम के खाते में अंतरित नहीं हो सकी और पैसा लौट गया। एक नजर में
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कुल स्वीकृत धनराशि 20.40 लाख
पहली किश्त वर्ष 2015 8.16 लाख
दूसरी किश्त वर्ष 2015 8.12 लाख
मार्च 2016 में वापस हुए 4.12 लाख तीमारदारों की सुनिये
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मरीजों का खाली बैड मिलने पर रात में उस पर लेट जाते हैं। मरीज अधिक होने पर जमीन पर सोते हैं।
- नसरीन, ककरावली
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मौसम ठंडा होने लगा है, रात में परेशानी होती है। रैन बसेरा हो तो तीमारदारों को सहूलियत हो सकती है।
- प्रवेश, पिलुआ
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वैसे तो मरीज की देखभाल के लिए वार्ड में रुकते ही हैं, लेकिन थोड़ा-बहुत समय आराम को जगह होनी चाहिए।
- ओमवती, बरा
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शौच-स्नान आदि के लिए अधिक परेशान रहती है। अस्पताल प्रशासन को तीमारदारों के लिए इतनी तो व्यवस्था करानी ही चाहिए।
- मचान सिंह, रैवाड़ी वर्जन
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शासन को इस संबंध में कई बार पत्र भेजा जा चुका है। कार्यदायी संस्था से भी कहा गया है कि फिनिशिग कर आश्रय स्थल को हैंडओवर कर दें।
- डॉ. राजेश अग्रवाल, सीएमएस