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ईश्वर के अधीन रहने से मिलता परमानंद

कामवासना क्रोध लोभ मोह यह सभी मनुष्य को उसके लक्ष्य से भटकाते है। ऐसे में खुद को ईश्वर के अधीन करने से ही तमाम परेशानियां क्षणभर में दूर हो जाती हैं और परम आनंद मिलता है। यह कहना है कथावाचक प्रवीण मिश्रा का। वे सोमवार को रामदरबार में चल रहे 63वें रामनवमी उत्सव में आयोजित भागवत कथा में बोल रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 10:52 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 06:08 AM (IST)
ईश्वर के अधीन रहने से मिलता परमानंद
ईश्वर के अधीन रहने से मिलता परमानंद

एटा, जासं। कामवासना, क्रोध, लोभ, मोह यह सभी मनुष्य को उसके लक्ष्य से भटकाते है। ऐसे में खुद को ईश्वर के अधीन करने से ही तमाम परेशानियां क्षणभर में दूर हो जाती हैं और परम आनंद मिलता है। यह कहना है कथावाचक प्रवीण मिश्रा का। वे सोमवार को रामदरबार में चल रहे 63वें रामनवमी उत्सव में आयोजित भागवत कथा में बोल रहे थे।

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उन्होंने कहा कि मनुष्य को मानव जीवन उसके पुण्य कर्मो के फलस्वरूप प्राप्त होता है। जिन्हें वह चौरासी लाख योनियों में अपना जीवन व्यतीत करने के बाद प्राप्त करता है। ऐसे में उसका कर्म अपने जीवन को पूर्णता के स्तर पर पहुंचाने के लिए होना चाहिए, लेकिन भौतिकतावादी चकाचौंध में फंसकर मनुष्य विषयभोग में लिप्त होता जा रहा है। वर्तमान समय में मनुष्यों को आत्मसंयम को धारण करने की जरूरत है। जिसके बलवूते पर वह काम क्रोध, लोभ मोह के बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सके। कार्यक्रम में भक्ति भजनों पर श्रद्धालु खूब झूमे।

इस मौके पर सेवाराम तारानी, अमन तारानी, मोहनलाल तारानी, धर्मेद्र तारानी, रामचंद्र हीराणी, हरीश हीराणी, नूतनदास, पूनम चागलानी, भोजराज, राजकुमार, घनश्यामदास समेत काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।


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