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परिवारों में वेदना नहीं, संवेदना की हो परंपरा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्वावधान में रविवार को शहर के रेलवे रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में कुटुम्ब प्रबोधन कार्यशाला (परिवार सम्मेलन) का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रदूषण से मैली हो रही गंगा मैया की भांति पारिवारिक प्रदूषण पर गहन चितन किया गया। परिवारों के बीच पारंपरिक सदाचार मैत्री के क्षीण होते समावेश को पटरी पर लाया जाए। उनमें वेदना नही संवेदनाओं का पुट किस तरह पैदा हो? वहां आपसी वाद और विवाद न पनपे। पारंपरिक संवाद का ²ष्टिकोण अपनाया जाए। ऐसे कई बिदुओं पर दो सत्र में चर्चा हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 11:40 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 06:22 AM (IST)
परिवारों में वेदना नहीं, संवेदना की हो परंपरा
परिवारों में वेदना नहीं, संवेदना की हो परंपरा

एटा, जासं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्वावधान में रविवार को शहर के रेलवे रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में कुटुम्ब प्रबोधन कार्यशाला (परिवार सम्मेलन) का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रदूषण से मैली हो रही गंगा मैया की भांति पारिवारिक प्रदूषण पर गहन चितन किया गया। परिवारों के बीच पारंपरिक सदाचार, मैत्री के क्षीण होते समावेश को पटरी पर लाया जाए। उनमें वेदना नही संवेदनाओं का पुट किस तरह पैदा हो? वहां आपसी वाद और विवाद न पनपे। पारंपरिक संवाद का ²ष्टिकोण अपनाया जाए। ऐसे कई बिदुओं पर दो सत्र में चर्चा हुई।

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत कार्यवाह राजपाल सिंह ने परिवारों के बीच पुराने रिश्तों की परिपाटी का बखान किया। सम्मेलन में बड़ी संख्या में भाग लेने आए परिवारों को अवगत कराया कि पहले परिवार में घर का नौकर भी परिवार के सदस्य की हैसियत से रहता था। पापा मम्मी, ताई-ताऊ, चाचा-चाची, बुआ-भतीजी, भाभी-भइया, माई-मामा कई ऐसे रिश्ते बढ़े अटूट और प्रेम सदाचार को बढ़ावा देते थे। आज के परिवेश में बच्चे माता पिता के रिश्ते को भी विवाहोपरांत भूलने लगे हैं। जिन माता पिता ने पाला पोसा, पढ़ाया, लिखाया, किसी काबिल बनाया, उन रिश्तों की बुनियाद अब इतनी नाजुक हो जाएगी। समाज में सदाचार का नामोनिशां नही रहेगा। यह बहुत चितनीय विषय है। इस पर गंभीर होना हर परिवार का दायित्व बन गया है। यदि यह रिश्ते नहीं रहेंगे तो बुआ कहां से आएगी। इन्ही कारणों से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने धर्म जागरण, गो संवर्धन, गंगा स्वच्छता जैसे अभियानों में परिवार संवर्धन को भी विशेष स्थान दिया है।

परिवार सम्मेलन के प्रथम सत्र के बाद दूसरे सत्र में परिवारों के पुरुष और महिलाएं अलग अलग बैठकर अपने अपने परिवारों में हो रहे विघटन के कारणों पर चर्चा कर उन्हे सदाचार की लाइन पर लाने को मंथन किया। इस दौरान नगर संयोजक अमित जौहरी, नगर कार्यवाह ग्रीशचंद्र, नगर संघचालक डा. चेतनदेव शर्मा, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रतीक आमौरिया, कार्यक्रम संयोजक प्रमोद दीक्षित, सह नगर संयोजक अनिल पांडेय, प्रदीप भामाशाह, विट्टू पचौरी, डा. अरुण राजौरिया, डा. राजेश सक्सेना, मीरा माहेश्वरी सहित अनेक परिवारीजन मौजूद थे।


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