सर्जरी के फैसले पर विरोध तो कहीं समर्थन
आयुर्वेद चिकित्सकों ने दीं निश्शुल्क चिकित्सा सेवाएं एलोपैथी चिकित्सकों ने विरोध में बंद रखी ओपीडी
जासं, एटा: आयुर्वेद के चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दिए जाने को लेकर शुक्रवार को कहीं विरोध तो कहीं समर्थन जताया गया। आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने ओपीडी सेवाएं बंद रखने का आह्वान किया। हालांकि, इसका ज्यादा असर नजर नहीं आया। उधर, नीमा (नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन) ने मरीजों को निश्शुल्क चिकित्सा सेवाएं दीं।
नीमा के सदस्य आयुर्वेद चिकित्सकों ने सरकार के फैसले के समर्थन में मरीजों का निश्शुल्क इलाज किया। जिलाध्यक्ष डा. एमपी सिंह ने कहा कि यह फैसला भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में सर्जरी का पुराना इतिहास है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस फैसले के बाद जहां देश में सर्जन चिकित्सकों की कमी दूर होगी। वहीं इलाज में गुणवत्ता आएगी तथा मरीजों के लिए इलाज के विकल्प भी उपलब्ध होंगे। जिला सचिव डा. आनंद राठौर, कोषाध्यक्ष डा. विशाल गुप्ता, डा. रामविलास शर्मा, डा. सतेंद्र तोमर, डा. मनोज भारद्वाज, डा. बिजेंद्र वर्मा, डा. आकाश वर्मा आदि ने समर्थन किया।
दूसरी ओर आइएमए के जिला सचिव डा. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आह्वान पर शुक्रवार को जिले में असहयोग आंदोलन के अंतर्गत सभी चिकित्सक सदस्यों ने ओपीडी सेवाएं बंद रखीं। केवल जरूरी और कोविड-19 संबंधी सेवाएं ही दी गईं। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि एक चिकित्सा पद्धति को दूसरे में मिक्स न किया जाए। इससे दोनों ही विधाओं की साख में कमी आएगी।