तेज बारिश ने बढाई किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
बुधवार सुबह से ही आसमान में छाए रहे बादल शाम होते ही बरस पड़े। मौसम से भले ही लोगों को गर्मी से राहत रही लेकिन अन्नदाता तबाही की दस्तक को देख माथा पकड़कर बैठे हैं। आसपास के क्षेत्रों में बारिश और ओले गिरने जैसी सूचनाओं से किसानों के माथे पर चिता की लकीरें पहले ही खिच गईं लेकिन शाम को हुई बारिश से नुकसान को देखते हुए उनकी नींद ही उड़ गई। शाम को हुई तेज बारिश से अब गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान बढ़ गया है।
एटा, जासं। बुधवार सुबह से ही आसमान में छाए रहे बादल शाम होते ही बरस पड़े। मौसम से भले ही लोगों को गर्मी से राहत रही, लेकिन अन्नदाता तबाही की दस्तक को देख माथा पकड़कर बैठे हैं। आसपास के क्षेत्रों में बारिश और ओले गिरने जैसी सूचनाओं से किसानों के माथे पर चिता की लकीरें पहले ही खिच गईं, लेकिन शाम को हुई बारिश से नुकसान को देखते हुए उनकी नींद ही उड़ गई। शाम को हुई तेज बारिश से अब गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान बढ़ गया है।
सुबह सूर्यदेव बादलों में छिपे रहे, ऐसे में धूप के दर्शन नाम मात्र हो सके। रात में जिले के दूसरे क्षेत्रों में बारिश के बाद रात से ही हवाएं ठंडी आम लोगों को गर्मी से राहत देती रहीं। लोगों की भीड़ भी शहर के बाजारों की ओर रुख करती दिखी। सुबह से आसमान में बादलों का डेरा बना रहा। दोपहर को बादलों को चीरकर सूर्यदेव ने सिर उठाया, कितु गहराते रहे बादलों के आगे सूर्यदेव अधिक देर न टिक सके। लुका-छिपी का दौर दिनभर चलता रहा।
बादलों की ओर टकटकी लगाए रहे किसान मौसम का रुख देखकर पहले से ही चितित थे। लेकिन शाम को 7 बजे अंधेरा छाने और बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बारिश शुरू होते ही किसानों के दिल हिला दिए। भले ही 20 से 25 मिट बारिश हुई, लेकिन पानी तेज था। ऐसे में पिछले दिन ही भीगा लांक और ज्यादा भीग गया। वहीं पकी खड़ी फसलों पर बारिश की बूंदें गिरने से अब ज्यादा नुकसान तय है। उधर फिलहाल किसानों का कार्य भी रुक गया है। उधर शाम को बारिश शुरू होते ही जीटी रोड पर वाहनों की रफ्तार थम गई। वहीं किन्हीं कारणों से घरों से बाहर निकले लोग भी भीगते हुए घर वापस पहुंचे। बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। बुधवार को तापमान और कम होकर अधिकतम 29 डिग्री व न्यूनतम 19 डिग्री सेल्सियस रहा। फिर याद आया तबाही का मंजर
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फसलों की कटाई के दौरान मौसम बिगड़ने से पहले भी किसान तबाही का मंजर देख चुके हैं। मंगलवार और फिर अगले ही दिन फिर बारिश होने जैसे हालातों ने पुरानी तबाही के मंजर की याद दिला दी और किसानों की नींद फिलहाल नुकसान के लेकर उड़ गई है।