मंदिर के दर्शन को लालायित हैं कारसेवक तिलकराम
राम मंदिर आंदोलन में केंद्र सरकार से तनातनी के बीच अयोध्या पहुंचे कारसेवक तिलकराम वहां से गिराए गए विवादित ढांचे का अवशेष लेकर घर लौटे थे। अपनी यादें उन्होंने जागरण ने साझा कीं।
जागरण न्यूज नेटवर्क बागपत : राम मंदिर आंदोलन में केंद्र सरकार से तनातनी के बीच अयोध्या पहुंचे खेकड़ा के कारसेवक विध्वंस के बाद अवशेष लेकर लौटे थे। वयोवृद्ध कारसेवक तिलकराम वर्मा आज भव्य राम मंदिर के दर्शन के लिए लालायित हैं। आंदोलन में सक्रिय रहे अन्य साथी भी मंदिर शिलान्यास को लेकर उत्साहित हैं।
नवंबर 1992 के अंतिम सप्ताह में ही कारसेवक अयोध्या पहुंचना शुरू हो गए थे। मंदिर निर्माण के लिए घोषित निर्धारित तिथि छह दिसंबर से सप्ताह भर पूर्व ही लाखों कारसेवक सरयू नदी के आसपास जमा हो चुके थे। इन कारसेवकों में शामिल अहिरान मोहल्ला में आर्य समाज मंदिर के पास रहने वाले वयोवृद्ध तिलकराम वर्मा के नेतृत्व में सेवकों का दल भी शामिल रहा। बताते हैं कि बस में 60 कारसेवक थे, जिनमें खेकड़ा से स्व. प्रकाशी देवी, सुशीला सिघल व स्व. रमेशचंद पटवा व बड़ागांव निवासी हरेराम त्यागी प्रमुख थे। सभी तीन दिसंबर को प्रात: कारसेवकपुरम पहुंच गए थे। दो दिन अयोध्या के मंदिरों के दर्शन करने के बाद छह दिसंबर को सत्संग सभा में शामिल हुए। सभा के दौरान अचानक शोर उठा तो कुछ ही देर बाद मीर बांकी का बनवाया बाबरी ढांचा जमींदोज कर दिया गया। जगह- जगह से आए कारसेवक स्मृति स्वरूप ढांचे के अवशेष अपने साथ लेकर गए। तिलकराम वर्मा भी ऐसे ही अवशेष में दो ईंट अपने साथ लेकर आए थे। उनका कहना है कि अब तो केवल एक ही लालसा बची है महाप्रयाण से पूर्व एक बार भव्य राम मंदिर के दर्शन कर लूं। उधर सुशीला सिघल का कहना है कि हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। वर्षों का संघर्ष रंग लाया है। मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ पूरे हिदुस्तान की जनता की मनोकामना पूरी होगी।