चुनावी शोर में गुम हो गया मृदा परीक्षण अभियान
एटा चुनावी माहौल में कई शासन की क्रमिक योजनाएं प्रभावित हो रही हैंजिससे किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
जागरण संवाददाता, एटा: चुनावी माहौल में कई शासन की क्रमिक योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। आलू और सरसों के खेत धीरे-धीरे खोदाई और कटाई के बाद जहां एक ओर खेत खाली हो रहे हैं। दूसरी ओर जायद की फसलों के लिए किसान भी अपना मन बनाने लगे हैं। इसके बावजूद चुनावी शोर में इस बार मृदा परीक्षण अभियान गुम होकर रह गया है। अभियान को लेकर न तो शासन स्तर से ही निर्देश जारी हुए हैं और स्थानीय स्तर पर भी कोई तैयारी नहीं है।
यहां बता दें कि हर साल कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए शासन का पूरा ध्यान जायद की फसलों के ज्यादा से ज्यादा उत्पादन पर रहता। यही वजह है कि मार्च से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। किसानों को जायद के प्रति आकर्षित करने के लिए तो किसान गोष्ठियां होती हैं। वहीं जिन खेतों में जायद की फसलें बौने की स्थितियां होतीं वहां के मिट्टी के नमूने जांचने के लिए मृदा परीक्षण अभियान चलाया जाता। अभी तक मृदा परीक्षण अभियान की कोई भी रूपरेखा नहीं है, जहां एक ओर पूरा विभाग चुनावी जिम्मेदारियों में लगा है तो दूसरी ओर शासन से भी अभी तक कोई निर्देश नहीं मिले। हालांकि यह समय कृषि विभाग के द्वारा किसानों को जायद की फसलों के प्रति आकर्षित करने और जागरूक करने को भी होता है। फिलहाल स्थिति यह है कि विभाग के अधिकारियों को एक पखवाड़े पहले से तमाम चुनाव संबंधी कार्य दे दिए गए हैं। कुछ कर्मचारी अधिकारियों के साथ हैं तो अन्य भी किसी न किसी तरह चुनाव में व्यस्त हैं। खास बात तो यह है कि अभी तक जायद की फसलों के लिए बीज और मिलने वाले अन्य अनुदान भी लटकते नजर आ रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी एमपी सिंह का कहना है कि इस बार मृदा परीक्षण को लेकर निर्देश नहीं मिले। फिर भी किसान विभागीय प्रयोगशाला में जांच करा सकते हैं।