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उपकेंद्रों पर ताले, कागजों में हो रहा काम

एटा: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और मनमानी के आगे नियम-कानून बौने हैं। यहां विभाग की लापरवाही की वजह से उपकेंद्रों पर ताले लग चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 23 Mar 2018 01:29 PM (IST)
उपकेंद्रों पर ताले, कागजों में हो रहा काम
उपकेंद्रों पर ताले, कागजों में हो रहा काम

जागरण संवाददाता, एटा: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और मनमानी के आगे नियम-कानून बौने हैं। कई स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जहां ताले पड़े हैं। एक दशक के अंतराल में शीतलपुर ब्लॉक में तीन उपकेंद्र बने। जो आज तक विभाग को हैंडओवर नहीं हुए। लेकिन उन्हें कागजों पर चालू दिखाकर फायदा उठाया जा रहा है।

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जिले में कुल मिलाकर 182 उपकेंद्र हैं। जिनमें से विभाग आधे से अधिक को प्रसव केंद्र की सुविधा के अनुकूल बताता है। अन्य सभी उपकेंद्रों पर टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों को परामर्श आदि की सुविधा भी विभाग के अनुसार मिल रही है। लेकिन इन बातों और दावों की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। तमाम उपकेंद्र ऐसे हैं जहां भूसा-कंडा भरे हैं या जानवर बांधे जा रहे हैं। कहीं प्रधान तो कहीं गांव के अन्य दबंग लोगों ने केंद्रों पर कब्जे कर रखे हैं। जिसके चलते स्थानीय ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शीतलपुर ब्लॉक क्षेत्र में खड़ौआ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन ऐसे ही तीन केंद्र बंद पड़े हैं। इन्हें लाखों रुपये की लागत से करीब सात-आठ साल पहले बनवाया गया था। शासन द्वारा नामित एजेंसी इनका निर्माण कराकर चली गई और शासन से ही उसको भुगतान मिल गया। जबकि उसने विभागों को ये केंद्र हैंडओवर भी नहीं कराए। यहां तक कि स्थानीय विभागीय अफसरों को यह भी नहीं पता कि किस एजेंसी ने कार्य कराया, जिससे हैंडओवर की कार्रवाई की जाए। वर्तमान में नरौरी के उपकेंद्र में भूसा और लोहाखार के उपकेंद्र में कंडे भरे हुए हैं। गढ़ी बेंदुला के उपकेंद्र पर ताला जड़ा हुआ है। इनका कोई सदुपयोग तो नहीं हो सका, जबकि देखभाल के अभाव में ये जर्जर हालत में जरूर पहुंच गए हैं। उधर, स्वास्थ्य विभाग उपकेंद्रों को चालू कर लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए कोई कदम उठाने को तैयार नहीं है, बल्कि उन्हें कागजों में चालू दिखाकर गोलमाल जरूर किया जा रहा है। वहां होने वाले काम कागजों में दर्शाए जा रहे हैं।

अधिकारी की बात

इस तरह के स्वास्थ्य उपकेंद्रों का मामला संज्ञान में नहीं आया है। अगर ऐसा है तो स्थिति पता कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। बिना हैंडओवर लिए उपकेंद्र संचालित नहीं होने चाहिए।

- डॉ. अजय अग्रवाल, सीएमओ


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