्रनौ बार चेयरमैन देने वाले कम्बोह मुहल्ले में ही सुविधाओं के लाले
मुहल्ला में समस्याओं का लगा है अंबार क्षतिग्रस्त नालियां कीचड़ से लबालब रहतीं गलियां
मारहरा(एटा), संसू। टूटी पड़ीं नालियों की वजह से कीचड़ से लबालब गलियां, दुर्गंध और संक्रामक बीमारियां बांटते कूड़े के ढेर और अतिक्रमणकारियों के कब्जे के चलते दिन पर दिन सिकुड़ता तालाब। कुछ यही हालात हैं कस्बा के मुहल्ला कम्बोह के।
इस मुहल्ले से जुड़ीं दो बातें बेहद महत्वपूर्ण हैं। पहली यह नगर का सबसे बड़ा मुहल्ला है और दूसरा यह कि इस मुहल्ले ने मारहरा नगर पालिका को नौ बार चेयरमैन दिये हैं। तीन बार बशीर महमूद जुबैरी, दो बार वहीद महमूद उर्फ परवेज जुबैरी और चार बार आरक्षित सीट पर शशिप्रभा, भूदेव भारती, जग्गूमल प्रभाकर और गंगादेवी चेयरमैन चुनी जा चुकी हैं। मंगलवार को जब जागरण की टीम जैसे ही मुहल्ला कम्बोह पहुंची तो मौके पर वाशिदों की भीड़ लग गयी। उनके दिलों में जनसमस्याओं को लेकर आक्रोश फूट पड़ा। जल निकासी के नहीं हैं इंतजाम:
मुहल्ला की सबसे बड़ी समस्या जल निकासी प्रबंधन की है। अधिकांश नालियां काफी अरसे से टूटी अथवा चौक पड़ी हैं। इसके चलते घरों आदि का गंदा पानी और कीचड़ या तो गलियों में भरा रहता है या फिर लोगों के मकानों के इर्दगिर्द इकट्ठा हो जाता है। बावजूद इसके जल निकासी प्रबंधन के लिए नगर पालिका की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की। मौत के साये में रामवीर का परिवार:
यहां के निवासी मजदूर रामवीर के पास घर के नाम पर महज तीन कच्ची दीवारें और सूरज की ओर झांकती क्षतिग्रस्त छत है। यह कब गिर जाये पता नहीं। रामवीर के हालात प्रधानमंत्री आवास योजना को भी आइना दिखा रहे हैं। उसने भी पीएम आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन लाभ न मिला। झाडू रोज लगती है, कचरा नहीं उठता:
मुहल्ले के राजू, मनोज और दीपक ने बताया कि यहां झाडू रोज लगती है, लेकिन कूड़ा कचरा नियमित रूप से नहीं उठाया जाता है। मजबूरन पूरा मुहल्ला मायावती इंटर कालेज वाले मार्ग पर ही कूड़ा फेंकता है। दुर्गंध के साथ-साथ संक्रामक बीमारियों को भी बढ़ावा मिल रहा है। अतिक्रमण से नहीं बचा तालाब:
मुहल्ले का तालाब कागजों में तो आठ बीघा से भी अधिक है, लेकिन वर्तमान में इसका दायरा आधे बीघा से भी कम रह गया है। अन्य भाग पर अतिक्रमणकारियों ने झोपड़ी और पशुओं के तबेले बना रखे हैं। निष्पक्ष रूप से कराए जा रहे विकास कार्य: चेयरमैन
चेयरमैन वहीद महमूद उर्फ परवेज जुबैरी का कहना है कि कस्बा में निष्पक्ष रूप से विकास कार्य कराए जा रहे हैं। मुहल्ला कम्बोह में सामुदायिक बरातघर, शमशानघाट की चाहरदीवारी, मुख्य सड़कों पर सीसी और इंटरलॉकिग निर्माण हुआ है। हैंडपंप और स्ट्रीट लाइटें भी लगवाई गईं हैं। 50 से अधिक पीएम आवास भी इसी मुहल्ले में दिलवाए गए हैं। यदि कोई पात्र छूट गया है तो उसका आवास भी बनवाया जाएगा।
- नाली निर्माण न कराए जाने की वजह से पूरे मुहल्ले का गंदा पानी मकान के पीछे जमा हो जाता है। जिससे मकान की दीवारों पर सीलन की समस्या से दीवारें कभी भी गिर सकती हैं।
मंसुख देवी
- तालाब पालतू पशुओं की प्यास बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। अब अधिकांश भाग पर कुछ लोगों का कब्जा है। तालाब की सफाई और साफ पानी की भराई करानी चाहिए।
मीना देवी
- मुहल्ले की जनसंख्या के सापेक्ष सरकारी हैंडपंपों की संख्या काफी कम है। इनमें से भी कई पानी नहीं दे रहे हैं, तो कुछ हैंडपंप गंदगी और कीचड़ की गिरफ्त होने की वजह से काम नहीं आ रहे हैं।
बृजेश राना
- मुहल्ले की सफाई व्यवस्था पर कतई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सफाईकर्मी झाडू लगाकर, कूड़ा वहीं इकट्ठा कर चला जाता है। कूड़ा प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तो बीमारियां कम हों।
संदीप कुमार