ठंडे बस्ते में किसान सम्मान निधि की जांच
महीने बीतने को लेकर बढ़ती जा रही शिथिलता लिप्त कर्मियों को हटाया पर नहीं दर्ज हुई एफआइआर
जागरण संवाददाता, एटा: जनपद में किसान सम्मान निधि को लेकर हुए फर्जीवाड़े की प्राथमिक जांच में अनियमितता सामने आ चुकी हैं। इधर, फर्जीवाड़े के बाद हर लाभार्थी की जांच होनी थी, लेकिन तहसील और विभाग स्तर दोनों पर लापरवाही बनी हुई है। अपात्र लाभार्थी मिल चुके हैं, उनसे अभी रिकवरी नहीं की जा रही।
पूर्व में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत बिना जमीन वाले यहां तक कि विद्यार्थी तक किसान बनकर फर्जी तरीके से लाभांवित होने का मामला उजागर हुआ। शीतलपुर ब्लाक के चार गांव में ढाई हजार फर्जी लाभार्थी प्रकाश में आए। उस समय कई कृषि विभाग के कर्मचारी भी ऐसे पाए गए जिन्होंने योजना का लाभ उठा लिया। व्यापक अनियमितताओं के बावजूद पूरे जिले में लाभार्थियों की जांच कराए जाने के निर्देश दिए गए और कुछ दिन तक फाइलों की उधेड़बुन भी होती नजर आई, लेकिन अब मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। भले ही जांच प्रक्रिया के मध्य शासनादेश के अनुरूप गलत तरीके से सम्मान निधि पाने वाले किसानों को प्राप्त हुई लाभ की धनराशि वापस करने के लिए भी छूट दी गई, लेकिन 30 से 40 फीसद लोगों ने ही योजना की धनराशि वापस की। योजना के लाभार्थियों की जांच में जहां तहसील प्रशासन अब कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है तो दूसरी ओर कृषि विभाग भी मामले की परतें आगे उधेड़ने की जहमत नहीं उठा रहा। प्रशासन के मामले में सुस्त होने के कारण ही हाल है कि अपात्र अब धनराशि वापस करने की मनोदशा त्याग रहे हैं।
खास बात यह है कि योजना में गड़बड़ी करने वाले कृषि विभाग के आपरेटर तो पद से हटा दिए गए, लेकिन जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद भी अभी तक किसी के भी विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं हो सकी है। एडीएम प्रशासन धर्मेंद्र मिश्रा का कहना है कि तहसीलों को जांच का काम दिया गया है, जो कि चल रहा है। कोई भी अपात्र अब लाभावित नहीं होगा।