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एटा और कासगंज आइसीटी में खुली शिक्षकों की पोल

जनपदीय प्रतियोगिता में पहुंचे सिर्फ छह गुरुजी नहीं दिखाई दिलचस्पी रिसोर्स पर्सन भी रहे गायब

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 06:31 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 06:31 AM (IST)
एटा और कासगंज आइसीटी में खुली शिक्षकों की पोल

एटा: सरकार द्वारा एक और आइसीटी शिक्षण पर जोर दिया जा रहा है तथा संसाधन विकसित किए जाने की बात की जा रही है। दूसरी ओर शिक्षकों की हकीकत अलग है। डायट पर हुई जनपद स्तरीय आइसीटी प्रतियोगिता में एटा और कासगंज जिले से भाग लेने के लिए सिर्फ छह शिक्षक-शिक्षिकाएं ही उपस्थित हुए। यह बिना किसी चुनौती के ही विजेता घोषित हो गए। दो जिलों में 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों में ऐसी स्थिति हास्यपद है।

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बेसिक शिक्षा में अत्याधुनिकीकरण को लेकर कई सालों से प्रयास चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों द्वारा शिक्षा के आकर्षक आइसीटी प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए ही शिक्षकों की भी प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जा रही हैं। हाल ही में डायट में जनपदीय प्रतियोगिता एटा तथा कासगंज दोनों जिलों के लिए अलग-अलग महिला तथा पुरुष वर्गों में आयोजित की। प्रतियोगिता का हाल यह रहा कि जितने निर्णायक थे उतने ही प्रतिभागी शामिल हो सके।

एटा से बिबसार बौद्ध प्राथमिक विद्यालय दहेलिया जैथरा, श्रद्धा शाक्य प्राथमिक विद्यालय दौदलपुर सकीट, नीता सिंह तथा पूजा गुप्ता प्राथमिक विद्यालय पुलिस लाइन, कासगंज से दिलीप प्रताप सिंह सोरों तथा प्रवीणा दीक्षित शामिल हुए। एटा में फिर भी तीन महिलाओं ने साहस दिखाया लेकिन प्रतिद्वंदी न होने के कारण कई प्रतिभागी स्वयं विजेता घोषित हो गए। खास बात तो यह है कि शैक्षिक सुधार का जिम्मा दिए जाने के बाद भी किसी एकेडमिक रिसोर्स पर्सन बने शिक्षक ने भी प्रतियोगिता में प्रतिभाग नहीं किया। उप शिक्षा निदेशक डायट डा. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अब आइसीटी शिक्षण पर जोर दिया जाएगा।


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