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अस्पतालों में सोमवार से इलाज मिलना होगा मुश्किल

एटा, जासं। सरकारी अस्पतालों में सोमवार से इलाज मिलना मुश्किल होगा। अपनी मांगों को लेकर संविदा व आयुष डॉक्टर और कर्मचारियों ने बेमियादी हड़ताल पर जाने का एलान किया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 10:51 PM (IST)
अस्पतालों में सोमवार से इलाज मिलना होगा मुश्किल
अस्पतालों में सोमवार से इलाज मिलना होगा मुश्किल

एटा, जासं। सरकारी अस्पतालों में सोमवार से इलाज मिलना मुश्किल होगा। अपनी मांगों को लेकर संविदा व आयुष डॉक्टर और कर्मचारियों ने बेमियादी हड़ताल पर जाने का एलान किया है।

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स्वास्थ्य विभाग में स्थायी चिकित्सकों की कमी कोई नई बात नहीं है। अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की भी कमी है। इस कमी के बीच संविदा पर नियुक्त चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मचारियों से मरीजों को राहत मिलती है। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, कंप्यूटर ऑपरेटर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मिलाकर जिले में 350 कर्मचारी एनएचएम के तहत संविदा पर कार्य कर रहे हैं। जो अपने विनियमितीकरण, वेतन-भत्तों में वृद्धि आदि मांगों को लेकर आंदोलन का एलान कर चुके हैं। जिसके तहत सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। यह गनीमत की बात है कि उन्होंने हड़ताल में आकस्मिक चिकित्सा सेवाओं को शामिल नहीं किया है। शहर की दोनों पीएचसी के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों की पांच नवीन पीएचसी पर केवल संविदा चिकित्सकों की तैनाती है। हड़ताल की स्थिति में यहां इलाज ठप हो जाएगा। अन्य पीएचसी-सीएचसी पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

किया दो घंटे का कार्य बहिष्कार

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आंदोलन के तहत कर्मचारियों ने 18 जनवरी को काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं शनिवार को सुबह दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया।

दफ्तरों के काम भी होंगे प्रभावित

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हड़ताल के दरम्यान केवल चिकित्सा सेवाएं ही नहीं, दफ्तरों के काम भी प्रभावित होंगे। ब्लॉकों पर डीएएम, बीपीसीएम, बीपीएम और एमसीटीएस आपरेटर के जरिए तकनीकी काम होते हैं। वहीं जिला मुख्यालय पर इनसे संबंधित जिलास्तरीय पद हैं। अन्य योजनाओं से संबंधित कर्मचारी भी संविदा पर ही हैं। ऐसे में ब्लॉक से लेकर जिला मुख्यालय तक प्रभाव पड़ेगा। संविदा स्टॉफ के प्रमुख पद

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60 चिकित्साधिकारी

40 एएनएम

45 स्टाफ नर्स

11 फार्मासिस्ट

12 काउंसलर

50 तकनीकी कर्मचारी

वर्जन

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यह आंदोलन हर जिले में चल रहा है। वार्ता प्रदेश स्तर पर ही होनी है। हमारे पास जो नियमित स्टाफ है उसके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रखने की पूरी कोशिश की जाएगी।

- डॉ. अजय अग्रवाल, सीएमओ


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