सहनऊआ में शांति के मध्य पुलिस का पहरा
अवागढ़ क्षेत्र के ग्राम सहनऊआ में शांति के मध्य पुलिस का पहरा बरकरार बना हुआ है। ज्यादातर घरों में सिर्फ महिलाएं ही हैं बल्कि पुलिस की कार्रवाई से सहमे निर्दोष लोग भी गांव छोड़कर इधर-उधर पलायन कर गए हैं। शनिवार को सड़क हादसे में मृत बलवीर के शव का पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार हुआ। दूसरी ओर पुलिस द्वारा दर्जनभर लोगों को चालान कर बवाल के मामले में जेल भेज दिया गया। रविवार को भी पुलिस ने गांव में अपनी धमक बरकरार रखते हुए मार्च किया। इस मध्य गांव का सन्नाटा पुलिस की चहलकर्मी से ही टूटता नजर आया। उधर जिन लोगों पर कार्रवाई कर बवाल में पुलिस ने जेल भेजा है उनमें कई तो मृतक के परिवारीजन ही हैं। इस तरह गांव के लोग निर्दोषों को भी मामले में फंसाने की बात कर रहे हैं।
एटा, जासं। अवागढ़ क्षेत्र के ग्राम सहनऊआ में शांति के मध्य पुलिस का पहरा बरकरार बना हुआ है। अवागढ़ के समीप दो दिन पहले हुए बवाल के बाद पुलिस की कार्रवाई से गांव में सन्नाटा पसरा है। ज्यादातर घरों में सिर्फ महिलाएं ही हैं, बल्कि पुलिस की कार्रवाई से सहमे निर्दोष लोग भी गांव छोड़कर इधर-उधर पलायन कर गए हैं। दूसरी ओर अब तक पुलिस की हुई कार्रवाई में निर्दोषों को भी फंसाए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
शनिवार को सड़क हादसे में मृत बलवीर के शव का पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार हुआ। दूसरी ओर पुलिस द्वारा दर्जनभर लोगों को चालान कर बवाल के मामले में जेल भेज दिया गया। हालांकि रविवार को भी पुलिस ने गांव में अपनी धमक बरकरार रखते हुए मार्च किया। इस मध्य गांव का सन्नाटा पुलिस की चहलकर्मी से ही टूटता नजर आया। उधर जिन लोगों पर कार्रवाई कर बवाल में पुलिस ने जेल भेजा है, उनमें कई तो मृतक के परिवारीजन ही हैं। इस तरह गांव के लोग निर्दोषों को भी मामले में फंसाने की बात कर रहे हैं। बवाल के बाद पुलिस की निरोधात्मक कार्रवाई को देख घरों में महिलाएं बच्चे ही हैं। बल्कि ज्यादातर पुरुष पलायन कर गए हैं। ग्रामीणों का यह कहना है कि घटना के दौरान जो लोग गांव में ही थे, उन्हें भी बवाल में फंसाया गया है। यहां तक कि मृतक के रिश्तेदार भी गांव नहीं पहुंच रहे। उन बवालियों पर नहीं नजर
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जिस स्थान पर सीओ की गाड़ी जलाई गई और बवाल हुआ, वहां से जाम स्थल काफी दूर था। घटना स्थल के समीप के गांव के लोगों ने खूब उत्पात मचाया, लेकिन पुलिस की कार्रवाई अब तक सिर्फ मृतक के गांव पर केंद्रित होकर रह गई है। खास बवालियों पर तो नजर भी नहीं गई है।