सरकार ने दिया सम्मान, अब हम भी लगा देंगे जी जान
जागरण संवाददाता एटा रोजगार सेवकों की बदहाली अब दूर हुई है। ग्रामीण विकास की प्रमुख
जागरण संवाददाता, एटा: रोजगार सेवकों की बदहाली अब दूर हुई है। ग्रामीण विकास की प्रमुख कड़ी रोजगार सेवकों को लॉकडाउन में शासन ने महीनों नहीं बल्कि पिछले सालों तक का मानदेय भुगतान किया है। जिले के रोजगार सेवक सरकार के इस कार्य से खुश हैं।
जिले में ग्रामीण विकास की योजनाओं के संचालन के लिए 509 ग्राम पंचायतों में 348 रोजगार सेवक नियुक्त हैं। लॉकडाउन से पहले तक आए दिन रोजगार सेवकों द्वारा कहीं दो साल तो कहीं उससे भी ज्यादा समय से मानदेय का भुगतान न होने का रोना रोया जाता रहा है। रोजी रोटी के लिए नौकरी कर और समय से पगार भी न मिलने के कारण कई बार उन्हें आंदोलन और अधिकारियों के समक्ष तरह-तरह से विरोध भी जताने पड़े।
अब कोरोना के विपरीत हालातों में शासन ने उन्हें जो सौगात दी है, उसे रोजगार सेवकों के चेहरे ही नहीं खिले बल्कि वह खासे उत्साहित हैं। हाथों में अवशेष मानदेय आने के बाद वह जी जान से ग्रामीण विकास के कार्यों के साथ-साथ कोरोना के हालातों में शासन की मंशा के अनुरूप काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। परियोजना अधिकारी डीआरडीए सीएल यादव ने बताया है कि सभी रोजगार सेवकों का अवशेष मानदेय प्राप्त कराया जा चुका है। यह बोले रोजगार सेवक
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- कोरोना से अर्थव्यवस्था बदहाल है, ऐसी में मुख्यमंत्री ने जो हमें पूरा मानदेय दिला कर सम्मान दिया है हम भी अपने दायित्व जिम्मेदारी से भी ऊपर उठकर निभाएंगे, ताकि सरकार की जो भी उम्मीद है पूरी कर सकें। मनोज यादव
- सालों से मानदेय के लिए रोजगार सेवकों का रोना ही रहा। जिले से लेकर शासन तक ज्ञापन भेजते रहे, लेकिन विपरीत हालातों में जो हमारे प्रति सकारात्मक रुख अपनाया गया है हम उसका एहसान बेहतर कार्य कर दिखाएंगे। जय सिंह
- कोरोना के हालात में अब हमारी भी जिम्मेदारी बढ़ गई है। गांव के मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों को जिस हद तक रोजगार दिलाने में मदद कर सकेंगे वह करने में कोई हिचक नहीं होगी। इंद्रपाल सिंह
- ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल लोगों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या है। खासकर महिलाओं के लिए अब जब सरकार ने हमारे पेट की बात सोची है तो हम भी जिम्मेदारियों को निभाने में उत्साह के साथ जुट जाएंगे। गौरी पाठक